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________________ ४९२ मभ्यदेश-मध्यसम्प्रदाय करके उनका अद्वैत में तात्पर्य दिखलाया गया है। यह दिया । अन्तिम ग्रन्थ ( भागवत पुराण ) इनके धार्मिक निबन्ध संक्षिप्त होने पर भी अद्भुत प्रतिभा का द्योतक है। जीवन पर छा गया। प्रशिक्षण के पूर्ण होने के पहले ही ८. महिम्नस्तोत्र की टीका-इसमें सुप्रसिद्ध महिम्न- ये शाङ्कर मत से अलग हो गये । और अपना द्वैतवादी स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक का शिव और विष्णु के पक्ष में सिद्धान्त स्थापित किया जो प्रधानतया भागवत पुराण पर व्याख्यार्थ किया गया है। इससे उनके असाधारण विद्या आधुत था। इनके अनेक अनुयायी उद्भट विद्वान् हो गये हैं। कौशल का पता लगता है। इनका धार्मिक सिद्धान्त रामानुज से बहुत कुछ मिलता९. भक्ति रसायन-यह भक्ति सम्बन्धी लक्षण ग्रन्थ जुलता है किन्तु दर्शन स्पष्टतः द्वैतवादी है। वे बड़ी है । अद्वैतवाद के प्रमुख स्तम्भ होते हुए भी वे उच्च कोटि तीक्ष्णता से जीव एवं ईश्वर का भेद करते हैं और इस प्रकार के कृष्णभक्त थे, यह इस रचना से सिद्ध है । शङ्कर से विष्णु स्वामी को छोड़कर अन्य वेदान्तियों की मधूकव्रत-फाल्गुन शुक्ल तृतीया को इस व्रत का अनुष्ठान अपेक्षा अत्यन्त दूर खड़े हो जाते हैं। ईश्वरवाद के सिवा होता है । उस दिन महिलाएं उपवास करके मधूक वृक्षपर। इनका सिद्धान्त बहुत कुछ भागवत सम्प्रदाय के समान है। गौरी पूजन करती हैं और उनसे अपने सौभाग्य, सन्तान, इनके धर्म चिन्तन का केन्द्र कृष्ण की भक्तिपूर्ण उपासना वैधव्य के निवारण की प्रार्थना करती हैं। सधवा है जैसा कि भागवत की शिक्षा है। किन्तु राधा का नाम ब्राह्मणियों को बुलाकर उन्हें पुष्प, सुगन्धित द्रव्य, वस्त्र इस सम्प्रदाय में नहीं लिया जाता है। यहाँ सभी अवतारों तथा स्वादिष्ठ खाद्य पदार्थ देकर उनका सम्मान किया का आदर है। माध्व सम्प्रदाय में शिव के साथ पांच मुख्य जाता है। इसके आचरण से सुस्वास्थ्य तथा सौन्दर्य की देवताओं ( पञ्चायतन ) की पूजा भी मान्य है। आचार्य उपलब्धि होती है । भविष्योत्तर पुराण (१६.१-१६) में । मध्व के प्रमुख ग्रन्थ वेदान्तसूत्र का भाष्य तथा अनुख्यान इसे मधूक तृतीया नाम से सम्बोधित किया गया है। हैं । इनके अतिरिक्त अनेक ग्रन्थ इन्होंने रचे जिनमें मुख्य मध्यदेश-मनुस्मृति (२.२१) के अनुसार मध्यदेश (बीच है-गीताभाष्य, भागवत तात्पर्य निर्णय, महाभारत तात्पर्य के देश) की सीमा उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विन्ध्या निर्णय, दशोपनिषदों पर भाष्य, तन्त्रसार संग्रह आदि । चल, पश्चिम में विनशन (राजस्थान की मरुभूमि में सर मध्वतन्त्रमुखमर्दन-अप्यय दीक्षित कृत यह ग्रन्थ शैवमत स्वती के लुप्त होने का स्थान) तथा पूर्व में गङ्गा-यमुना के विषयक है। इसमें मध्व सिद्धान्त का खण्डन किया सङ्गम स्थल प्रयाग तक विस्तृत है। वास्तव में यह मध्य गया है। देश आर्यावर्त का मध्य भाग है। 'मध्यदेश' शब्द वैदिक मध्वभाष्य-दे० 'मध्व' । संहिताओं में नहीं मिलता है । परन्तु ऐतरेय ब्राह्मण में । मध्वविजय-मध्वाचार्य के एक प्रशिष्य श्री नारायण ने इसकी झलक मिलती है । इसमें कुरु, पञ्चाल, वत्स तथा आचार्य की मृत्यु के पश्चात् दो संस्कृत ग्रन्थ 'मणिमञ्जरी' उशीनर देश के लोग बसते थे। आगे चलकर अन्तिम दो एवं 'मध्वविजय' लिखे। इनमें दो अवतारों का सिद्धान्त वंशों का लोप हो गया और मध्यदेश मुख्यतः कुरु-पञ्चालों भली-भाँति स्थापित हुआ है। प्रथम ग्रन्थ के अनुसार का देश बन गया । बौद्ध साहित्य के अनुसार मध्यदेश शङ्कर मणिमान् नामक (महाभारत में वर्णित) विशेष देव पश्चिम में स्थूण (थानेश्वर) से लेकर पूर्व में जंगल (राज __ के अवतार तथा दूसरे ग्रन्थ के अनुसार मध्वाचार्य वायुदेव महल की पहाड़ियों) तक विस्तृत था । । के अवतार थे। मध्व-माध्व वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक मध्व अथवा मध्वसम्प्रदाय-मध्वाचार्य द्वारा स्थापित यह सम्प्रदाय भागमध्वाचार्य थे। जो दक्षिण कर्णाटक के उदीपी नामक ___वत पुराण पर आधृत होने वाला पहला सम्प्रदाय है। इसकी स्थान में उत्पन्न हुए थे । इन्होंने तेरहवीं शताब्दी के __ स्थापना तेरहवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में हुई। प्रारम्भ में अपने सम्प्रदाय की स्थापना की। बाल्यावस्था मध्व की मृत्यु के ५० वर्ष बाद जयतीर्थ इस सम्प्रदाय के में ही ये संन्यासी हो गये तथा प्रथम शाङ्करमत की दीक्षा प्रमुख आचार्य हुए। इनके भाष्य, जो मध्व के ग्रन्थों पर रचे ग्रहण की। वेदान्त सम्बन्धी ग्रन्थों के अतिरिक्त इन्होंने गये हैं, सम्प्रदाय के सम्मानित ग्रन्थ हैं। चौदहवीं शताब्दी ऐतरेयोपनिषद्, महाभारत तथा भागवत पुराण पर ध्यान के उत्तरार्ध में विष्णुपुरी नामक माध्व संन्यासी ने भागवत के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016098
Book TitleHindu Dharm Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajbali Pandey
PublisherUtter Pradesh Hindi Samsthan Lakhnou
Publication Year1978
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size27 MB
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