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________________ जैन आगम वाद्य कोश ४३ दसा. १०/१७, औप. ६७, जम्बू. ३/२०९ हडक्का , हुडुक, हुडूक (उ. प्र.) हुरुक्का , डेरु, डडक्की । है जो भैसों का सींग है। इस पशु तथा हिरण के सींगों का प्रयोग उत्तर प्रदेश में किया जाता है। पहले को घिसान और दूसरे को सिंगी कहते हैं। आधुनिक युग में शृंग प्रायः हिरण अथवा बारहसिंगा के सींग से बनते हैं। पीतल के भी शृंग बनाये जाते हैं। हिरण के सींग की बनी हुई सिंगी प्रायः जोगी बजाते देखे जाते हैं। धातु के बने हुए शृंग का वादन राजस्थान, नेपाल तथा दक्षिण में अब भी होता दिखाई पड़ता है। सुसुमारिया (शिशुमारिका) राज. ७७ शिशुमारिका विवरण-यह एक प्राचीन घन-वाद्य था, जिसके PG.43 आकार-प्रकार के बारे में कोई वर्णन प्राप्त नहीं आकार-डमरु से बड़ा। होता है। विवरण-यह दो मुखा अवनद्ध वाद्य १६ अंगुल विमर्श-राज. ७७ के अतिरिक्त प्रस्तुत शब्द का लंबा तथा बीच में से कुछ पतला होता है। इसके उल्लेख वाद्य के अर्थ में वेदों एवं संगीत ग्रंथों में मुख का व्यास आठ-आठ अंगुल होता है। झिल्ली प्राप्त नहीं होता है। आइने-ए-अकबरी में विचित्रा सादी होती है और लगभग डमरु जैसे आकार पर वीणा को वाद्यों का शुमार कहा है, जो कि तत मढ़ी जाती है। इसमें कुछ छेद करके डोरियां कसी वाद्य के अन्तर्गत आता है। लेकिन शिशुमार जाती हैं। डोरी के अंत में एक अन्य डोरी होती टकराकर बजाए जानेवाला घनवाद्य था। है। इसी को पकड़कर यह वाद्य बजाया जाता है। स्वर की ऊंचाई-नीचाई के लिए हुडुक्क की सुघोस (सुघोष) राज. ७७, जी. ३/७८, जंबू. रस्सियों को ढीला और कड़ा किया जाता है। ५/२२ अलग-अलग क्षेत्रों में इसे हुडुक्का, हुडूक, सुघोष हुरुक्का, डेरु, डडुक्की आदि के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में कहार जाति के लोगों आकार-घड़ियाल सदृश। द्वारा इसका प्रयोग किया देखा जाता है। विवरण-जैन व्याख्याकारों ने इसे प्रथम देवलोक में (विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-संगीत पारिजात) प्राप्त होने वाला इन्द्र का घंटा कहा है, जिसे इन्द्र के आदेश से अनेक कार्यों के लिए प्रयुक्त किया जाता है। हुडुक्की (हुडुक्क) राज. ७७ हुडुक्की हुडुक्क (हुडुक्क) राज. १३, पज्जो. ७५,६४, आकार-हुडुक्का से छोटा। Jan Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org.
SR No.016097
Book TitleJain Agam Vadya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2004
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size5 MB
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