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________________ ५२४ अमरकोषः। [तृतीयकाण्डेअथ स्त्रीलिङ्गसंग्रहः । १ स्त्रियारमीद द्विरामैकासयोनिप्राणिनाम च ॥ २॥ ३ गाम विद्युनिशावल्लीवीणादिग्भूनदीहियाम् । भयसे उन स्वरादि शब्दों की भिन्न लिङ्गमें यहाँ पुनः नहीं कहा गया है। २ उदा०-पुंस्त्वे सभेदानुचराः सपर्यायाः सुरासुराः' (३।५।११) इस सामान्य वचनसे 'भेद, अनुचर, पर्याय' के सहित 'सुर और असुर' पुल्लिङ्ग हैं' ऐसा कहा गया तथापि'....."देवतानि पुसि वा देवताः खियाम्' (१९) इस अपवाद वचनसे 'देवत' शब्दको पुंल्लिङ्ग तथा नपुंसकलिङ्ग और 'देवता' शब्दको स्त्रीलिङ्ग कहा गया है, अतः इन (दैवत् , देवता) शब्दोंको छोड़कर 'सुर, असुर' के पर्याय आदि शब्द पुल्लिङ्ग होते हैं। इस लिंगादिसंग्रहवर्ग' में विशेष वचन सामान्य वचनका बाधक होता है। ('जैसे-- 'अदन्तैद्विगुरेकार्थः (३।५३) इस सामान्य वचनसे अदन्त शब्दसे आगे रहने पर एकार्थ द्विगुको स्त्रीलिङ्ग कह कर 'न स पात्रयुगादिभिः' (३२५३) इस विशेष वचन से 'पात्र, युग, भुवन' आदि शब्होंके आगे रहनेपर स्त्रीलिङ्गका निषेध किया गया है, अत एव 'अष्टाध्यायी, त्रिलोकी, दशमूली' आदि शब्दोंके समान 'पञ्चपात्रम् , चतुर्युगम् , त्रिभुवनम् ,.... शब्द स्त्रीलिङ्ग नहीं होते हैं)॥ ____ अथ स्त्रीलिङ्गसंग्रहः। १ यहाँ से आगे 'पुंस्त्वे....... (३।५।११)तक 'स्त्रियाम्' का अधिकार होनेसे यहाँसे 'पुंस्त्वे ........ (३।५।११) के मध्यवर्ती (बीचवाले) सव शब्द स्त्रीलिङ्ग हैं ॥ २ एक अच् वाले ईकारान्त १, ऊकारान्त २; तथा योनि (भग) सहित प्राणियों के नाम ३ स्त्रीलिंग होते हैं। (क्रमशः उदा०-१ धीः, श्रीः, हीः, "।२-भ्रू, स्नूः, द्रः, जूः, भूः,........ । ३ माता ( = मातृ), दुहिता ( = दुहित), याता ( = यातृ ), प्रसूः, स्वसा ( - स्वस), योषित् , करेणुः, सुरभिः ,... ...")॥ ___३ विद्युत् (बिजली) १, निशा (राशि)२, वल्ली (लता) ३, वीणा १. 'विद्युन्निशावल्लीवाणीदिग्भूनदीधियाम्' इति पाठान्तरम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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