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________________ ५२३ लिङ्गादिसंग्रहवर्गः ५] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। 'अनुक्तैः संग्रहेलिङ्ग संकीर्णवदिहोन्नयेत् ॥१॥ १ लिनशेषविधिापी विशेषयद्यबाधितः । प्रत्ययसे उत्पन्न शब्द जैसे-पुत्रकाम्या,"। ३ 'कृत्' प्रत्ययसे उत्पन्न शब्द जैसे-श्वपाकः, कुम्भकारः, सरसिजम् ,..। ४ 'तद्धित' प्रत्ययसे उत्पन्न शब्द जैसे-औपगवः, चैयाकरणः, नैयायिकः, गार्ग्यः, वात्स्यः,"। ५ 'समास' प्रत्यय ( 'टच , अच् , अ...") से उत्पन्न शब्द जैसे-वायुसखोऽनलः, धर्मराजः, ब्रह्मवर्चसम् , अर्धर्चः,......")। 'संकीर्णवर्ग' के समान लिङ्ग समझना चाहिये अर्थात् 'संकीर्णवर्ग' में जिस तरह प्रकृति और प्रत्यय के अर्थ आदि (क्रियाविशेषण,...... ) से लिङ्गका तर्क किया गया है उसी तरह यहाँ भी तर्क करना चाहिये । (उदा०-१ प्रकृतिके अर्थसे जैसे-'अर्धर्चाः पुंसि च' (पा० सू० २।४।३१ ) इस सूत्रसे 'अर्धः , अर्धर्चम्' यहांपर 'अर्धर्च' शब्द पुल्लिङ्ग और नपुंसकलिङ्ग,........। २ प्रत्ययके अर्थसे जैसे-'स्त्रियां तिन्! (पा० सू० ३।३।९४) इस सूत्रसे 'कृतिः, संपत्तिः, विपत्तिः, भूतिः, ये शब्द स्त्रीलिङ्ग और ३ 'आदि' शब्दसे संगृहीत क्रिया-विशेषणसे जैसे-'साधु भवति, शोभनं पचति,......' में साधु और शोभन शब्द नपुंसक हुए हैं, उसी तरह इस 'लिङ्गादिसंग्रहवर्ग' में भी समझना चाहिये ॥ १ यदि पहले और यहाँ कहे हुए वाक्योंसे बाध (निषेध) नहीं किया गया हो तो शेष लिङ्गका विधान अपने विषयमें व्यापक होता है अर्थात् अपवाद (बाधक) विषयको छोड़कर सर्वत्र सामान्यतः उक्त लिङ्ग होता है। ('उदा०-'स्वर्गयागाद्रिमेधाब्धि- (३।५।११) इस वाक्यसे स्वर्ग-पर्याय शब्दको सामान्यतः पुंलिग कहा गया है तथापि 'स्वरव्ययं स्वर्गनाकत्रिदिवत्रिदशालयाः । सुरलोको चोदिवौ द्वे सियां क्लीबे त्रिविष्टपम्' (१९१६) इस अपवाद वचनसे 'स्वर' शब्दको अव्यय, 'यो, दिव' शब्दको स्त्रीलिङ्ग, और 'त्रिविष्टप' शब्दको नपुंसक कहनेके कारण ये ( स्वर् द्यो, दिव , त्रिविष्टप) शब्द पुंलिङ्ग में प्रयुक्त नहीं होते, किन्तु उक्त विशेष वचन के अनुसार क्रमशः 'अव्यय, स्त्रीलिङ्ग, और नपुंसकलिङ्ग में ही प्रयुक्त होते हैं, ग्रन्थ बढ़नेके १. 'अनुक्तौ इति पाठान्तरम् । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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