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________________ ब्रह्मवर्ग:.] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। २५० १ पालाशी दण्ड आषाढो वते २ गम्भम्तु वेगवः ॥ ४५ ॥ ३ अस्त्री कमण्डलुः कुण्डो तिलामासनं 'वृषी। ५ अजिनं चर्म कृत्तिः स्त्री ६ भैक्षं भिक्षाकदम्बकम् .. ४६॥ ७ स्वाध्यायः स्थाजपः , आषाढः (भाषाढका, आषाढः । पु), 'ब्रह्मचर्यावस्थामें ब्राह्मणसे धारण किये हुए पल शके दण्ड' का नाम है ॥ २ राम्मा (पु), 'ब्रह्मचर्यावस्थामें धारण किये हुए बाँसके दण्ड' का नाम है ॥ ३ कमण्डलुः (पु न ), कुण्डी (स्त्री), 'कमण्डलु' के १ नाम हैं। ४ घृषी (+ वृसी। स्त्री), 'ब्रह्मचारी आदि व्रतियोंके पासन' का नाम है ॥ ५ अजिनम्, चर्म ( = चर्मन् । २ न), कृत्तिः (स्त्री), 'मृगादिके चमड़े के नाम हैं। ६ भैतम् (त्रि ), 'भिक्षामें मिले हुए पदार्थ' का । नाम है ॥ ७ स्वाध्यायः, जपः (२ पु ), 'नियमसे वेदादिके अभ्यास करने के २ नाम हैं । 'जप ३ प्रकारका होता है-वाचिक 1, उपांश और मानस । इनको उत्तरोत्तर श्रेष्ठ कहा गया है')॥ १. 'सी' इति पाठान्तरम् ॥ २. 'ब्राह्मणो बैल्वपालाशौ क्षत्रियो वटखादिरौ। पैलवौदुम्बरौ वैश्या दण्डानईन्ति धर्मतः ॥१॥ इति मनुः २॥४५॥ ३.दारीतोक्ता जपभेदास्तेषां बक्षणानि चात्र प्रदयन्ते .......त्रिविधो जपयज्ञः स्यात्तस्य तत्त्वं नियोधत ॥ बाचिकश्चाप्युपांशुश्च मानसश्च निषाऽकृतिः । त्रयाणामपि यहाना श्रेष्ठः स्यादुत्तरोत्तरः॥ बदुचनीचोच्चरितैः शब्दैः स्पष्टपदाक्षरैः । मन्त्रमुच्चारयेदाचा अपयवस्तु वापिक.. १७५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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