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________________ पुरवर्गः २] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। २. अथ पुरवर्गः। १ पूः स्त्री पुरीनगयौं वा पत्तनं पुटभेदनम् । स्थानीयं निगमो२ऽन्यत्त यन्मूलनगरात्पुरम् ॥१॥ तच्छाखानगरं ३ वेशो वेश्याजनसमाश्रयः । ४ आपणस्तु निषद्यायां ५ विपणिः पण्यवीथिका ॥२॥ ६ रथ्या प्रतोली विशिवा ७ स्याच्चयो वप्रमस्त्रियाम् । २. अथ पुरवर्गः । पू: (= पुर्, स्त्री ), पुरी, नगरी ( २ स्त्री न ), पत्तनम् ( + पट्टनम् ), पुटभेदनम् , स्थानीयम् ( ३ न), निगमः (पु), 'नगर' के ७ नाम हैं। ('जहाँ अनेक तरह के कारीगर व्यापारी आदि वसते हैं उसके 'पू:, पुरी, नगरी' ये ३ नाम हैं, 'जहां राजाके नौकर आदि वसते हैं उसके पत्तनम्, पुटभेदनम्' ये २ नाम हैं और खाई या चहारदीवारी आदिसे घिरे हुए नगरके 'स्थानीयम्, निगमः' ये २ नाम हैं। यह भी किसी २ का मत है।)॥ २ शाखानगरम (न), 'राजधानोके समीपवर्ती छोटे-छोटे नगर' का १ नाम है । ३ वेशः, वेश्याजनसमाश्रयः (भा. दो० । २ पु), 'वेश्यामोंके घाल. स्थान' के २ नाम हैं। ४ आपणः (पु), निषद्या (स्त्री) 'बाजार, हाट या या प्राहकोके खरी. दने योग्य वस्तु (सौदा ) के रखनके स्थान' अर्थात् 'गोदाम' के २ नाम हैं। ५ विपणिः (+ विपणी), पण्यवीथिका ( + पण्यवीथी । २ स्त्री), 'दूका. नोकी पति या बाजार का रास्ता या बाजारसे भिन्न सौदा बेचनेके किसी भी स्थान' के २ नाम हैं । ( 'आपण' आदि ४ नाम 'बाजार' के हैं, यह भी मत है)। ६ रथ्या, प्रतोली, विशिखा (३ स्त्री), 'गली' के ३ नाम हैं। (विपणिः भादि ५ नाम एकार्थक हैं, यह भी मत है)॥ ७ चषः (पु), वप्रम् ( न पु), 'धूस' अर्थात् 'किलेके चारों तरफ ऊँचे किये हुये मिट्टोके ढेर' के २ नाम हैं ।। Jain EdF 3Tointernational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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