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________________ - के 'केटलुं बधुं ओर्छ' अर्थमां वपराय छ अंग न० शरीर (२) शरीरनो अवयव (३)एक आखी वस्तुनो भाग;विभाग; खातुं (४) उपाय (५)मुख्य वस्तुनो गौण भाग (६) प्रत्यय लागे ते पूर्व- शब्दनु रूप (व्या०) अंगक न० शरीर (२) अवयव अंगज वि० शरीरमां अथवा शरीर उपर उत्पन्न थयेलु; शरीर-; शरीरमांनुं (२) पुं० पुत्र (३) कामदेव (४) केश ; वाळ (५) रोग (६) न० लोही (७) केश; बाळ अंगजा स्त्री० पुत्री अंगण न० आंगणु अंगद पुं० वालिना पुत्रनं नाम (२) न० हाथ- घरेणुं; का अंगन न० जुओ 'अंगण' अंगना स्त्री० स्त्री (२) सुन्दर स्त्री अंगप्रत्यंग न० नानो मोटो प्रत्येक अवयव अंगभंग पुं० पक्षाघात; लकवो (२) (ऊंघमाथी ऊठया पछी करे छे तेम) अंगोने लांबां पहोळां करवां ते । अंगभू पुं० छोकरो (२) कामदेव अंगरक्षक पुं० अंगनी रक्षा करनार खास सैनिक अंगरक्षणी स्त्री० बख्तर अंगराग पुं० शरीरे सुगंधीदार वस्तु ओनो लेप करवो ते (२) सुगंधी लेप अंगरह न० वाळ; केश अंगविक्षेप, अंगहार पुं० भावने व्यक्त करवा शरीरना अवयवोनी चेष्टा (२) एक जात, नृत्य अंगहारि पुं० अंगचेष्टा (२) नृत्य माटेनो मंच अंगार पुं०, न० कोलसो (सळगेलो के 'न सळगेलो) (२) मंगळनो ग्रह अंगारक पुं०, न० सळगतो कोलसो अंजन (२) मंगळनो ग्रह (३) मंगळवार (४) न० अग्निनो तणखो अंगारकमणि पुं० प्रवाळ; परवाळू अंगांगिभाव पुं० गौण अने मुख्यनो संबंध अंगिन् वि० शरीरवाळू; मूर्तिमंत (२) जेने गौण विभागो छे तेवू – मुख्य अंगीकरण न०, अंगीकार पुं० स्वीकार अंगीकृ ८ उ० अंगीकार करवं स्वीकारवं अंगुल पुं० आंगळी (२) अंगूठो (३) एक आंगळनुं माप अंगुलि स्त्री० आंगळी (२)अंगूठो (३) ___ हाथीनी सूंढनो अग्रभाग (४) एक आंगळy माप अंगुलिका स्त्री० आंगळी अंगुलिमुद्रा स्त्री० महोर करवानी - सील करवानी वीटी अंगुली स्त्री० जुओ 'अंगुलि' अंगलीक, अंगुलीय, अंगुलीयक न० आंगळीनी वीटी अंगुष्ठ पुं० अंगूठो (२)अंगूठा माप अंघस् न० पाप अंघ्रि पुं० पग (२) वृक्षनुं मूळ अंघ्रिप पुं० वृक्ष अंच १ उ० जQ (२) वळवू; वाळवू (३) पूजवू; सत्कारवू (४) पामवं (५) १० उ० प्रगट कर, अंचल पुं०, न० वस्त्रनो छेडो; कोर (२) खणो (जेमके आंखनो) अंचित वि० वळेलु; वाळेलु (२) वांकडियु; सुंदर (जेम के भमर) (३) सन्मानेलं; पूजेलं (४) सुशोभित करेल; गूंथेलु (५) गयेलं अंज ७ उ० आंजर्बु (२) जवू; जई पहोंचर्चा (३) दर्शावq; प्रगट करवू (४) शोभq; प्रकाशq (५) संमानवू (६) शणगारवं अंजन न० आंजवं ते; लेप करवो ते (२) आंजण ; मेश (३) शाही (४) पुं० आठ दिग्गजोमांनो एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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