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________________ अहःशेष अहःशेष पुं०, न० सायंकाळ अहार्य वि० न लई लेवा योग्य (२) मेळवी न लेवाय तेवू - वफादार अहि पुं० साप (२)वृत्रासुर (३) मेघ अहित वि० नहि मुकायेलं (२) अयोग्य (३) अपथ्य ; नुकसानकारक (४) प्रतिकूल ; शत्रुता धरावनाएं (५) पुं० शत्रु (६) न० नुकसान; हानि अहिQह अहिद्विष पुं० गरुड (२) नोळियो । (३) मोर (४) कृष्ण (५) इन्द्र अहिनिर्मोक पुं० सापनी कांचळी अहिपति पुं० शेषनाग (२)वासुकि नाग अहिफेन पु०, न० अफीण अहिम वि० उष्ण ; गरम आहमकर, अहिमकिरण, अहिमतेजस्, अहिमधामन्, अहिमरुचि, अहिमांशु पुं० सूर्य (उष्ण किरणोवाळो) अहिंसा स्त्री० कोईने मारवं नहि ते (२) मन, वाणी के कर्मथी कोईने दुःख न देवं ते तेवं अहिंस्र वि० अहिंसक; कोईने दुःख न दे अहीन वि० आखं ; संपूर्ण (२) ऊतरतुं नहि तेवू (३) - विनानुं नहि तेवू अहीर पुं० गोवाळ; गोप होमेलं अहुत वि० नहि होमायेलं (२) खोटी रीते अहेतुक, अहैतुक वि० हेतु विनान; अकारण आपमेळे अहैतुकम् अ० बीजानी मदद विना; . अहो अ० शोक, धिक्कार, विषाद, दया, संबोवन, विस्मय, प्रशंसा, वितर्क, असूया वगेरे दर्शावे (२) पादपूरक तरीके वपरायबळनी प्रशंसा अहोपुरुषिका स्त्री० आपवडाई;पोताना अहो बत अ० संबोधन, दया के थाक बतावे अहोरात्र पुं०, न० दिवस अने रात अह्नाय अ० जलदी; एकदम; सत्वर अह्रीक वि० शरम वगरन ; निर्लज्ज अंग अंक १० उ० आंकवं; निशानी करवी (२) लांछन लगाडवू अंक पुं० आंको; चिह्न (२) संख्याचिह्न; आंकडो (३) डाघो; कलंक (४) खोळो (५) नाटकनो विभाग (६) वांको आंकडो के ओजार (७) बाजु; पडखं; सामीप्य (८) वांक; वळांक (९) स्थळ ; स्थान अंकगत वि० जुओ 'अंकागत' अंकन न० निशानी; निशानी करवी ते (२) निशानी करवानं साधन अंकपरिवर्त पुं० खोळामां आळोटq ते; गाढ आलिंगन धात्री; आया अंकपालि (-लो) स्त्री० आलिंगन (२) अंकभाज वि० खोळामां लीधेलं के केडे तेडेलु (२) हाथमां आवे तेवू; जलदी मळे तेवू अंकमुख न० अंकना जे भागमां वस्तुन बीज तथा अंत निरूपायां होय ते (नाट्य०) अंकागत वि० खोळामां-हाथमां आवी पडेलु; प्राप्त थयेलं अंकित वि० निशानी अथवा छापवाळं (२) गणवामां आवेलु अंकुर पुं०, न० फगगो (२)थोडं खीलेलं फूल (३) समासमा 'अणिया' अर्थमां; (उदा० नखाङ्कुर)(४) संतति-वंशज (उदा० कुलांकुर) अंकुरित वि० फणगा फूटया होय तेवू अंकुश पुं०,न० हाथीने हांकवानुं लोढार्नु साधन (२) काबू ; दाब; नियमन अंकर पु० जुओं 'अंकुर' अंकरित वि० जुओ 'अंकुरित' अंकूष पुं० जुओ 'अंकुश' अंकोट, अंकोठ, अंकोल पुं० एक छोड (२) अखरोट अंग अ० 'ठीक', 'वार', 'खरेखर' (२) 'किम् ' नी साथे केटल बधु वधारे' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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