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________________ माहिषक लक्ष्मण त्यां वर्षाकाळ पूरो थता सुधी रहेला. माहिषक पुं० नर्मदा किनारानो एक देश. तेनी राजधानी माहिष्मती. माहिष्मती स्त्री० नर्मदा किनारे आवेलु एक शहेर; आज, मंडला; कार्तवीर्यनी नगरी. (२) किष्किधानी दक्षिणे आवेलुं एक शहेर. मिथिला स्त्री० विदेह देशनी राजधानी. (जुओ ‘विदेह'.) दरभंगा जिल्लानुं जनकपुर. मुर पुं० नरकासुरना पक्षनो एक राक्षस. तेने श्रीकृष्णे मारेलो तेथी तेमनुं नाम 'मुरारि' प्रसिद्ध छे. मुरारि पुं० रामायणनी वार्ता उपरथी ७ अंकना नाटक 'अनर्घराघव'नो कर्ता. ८ मा सैकाना अंतमां के ९ मानी शरू आतमां थई गयो. मेकल पुं० अमरकंटक पर्वत. नर्मदा त्यांथी नीकळती होवाथी तेनुं नाम 'मेकलकन्यका' छे. विंध्य पर्वतमाळानो एक भाग. मेघनाद पुं० रावणपुत्र इंद्रजित्. मेनका स्त्री० एक अप्सरा. तेणे विश्वामित्रना तपनो भंग कयों; ते बंनेनी पुत्री ते शकुंतला. मेना स्त्री० हिमालयनी पत्नी. मेरु पुं० सुवर्ण पर्वत मनाय छे. सातद्वीपोनी मध्यमां. सूर्य तेनी प्रदक्षिणा करतो मनाय छे. मैनाक पुं० एक पर्वत. हिमालय-मेनानो पुत्र. इंद्रे बीजा पर्वतोनी पांखो तोडी नाखी त्यारे ते दक्षिण समुद्रमां छुपाई गयो एटले तेनी पांखो रही गई छे. मोहिनी स्त्री० समुद्रमंथन वखते नीकळेला अमृतने असुरोना कबजामांथी काढी लाववा विष्णुए धरेलो स्त्रीरूप अवतार. युधाजित् यज्ञपुर न० ओरिसान जैपुर. वैतरणी नदीने कांठे. छठठा सैकामां स्थपायेलं. यदु पुं० ययाति अने देवयानीनो मोटो पुत्र. यादवोनो पूर्वज. ययाति पुं० नहुषनो पुत्र. शुक्राचार्यनी पुत्री देवयानी तथा असुरराजनी पुत्री शर्मिष्ठा ए बे राणीओ. देवयानीने यदु अने तुर्वसु ए बे पुत्र ; शर्मिष्ठाने द्रुहयु, अनु अने पुरु. शर्मिष्ठा देवयानीनी दासी तरीके आवेली पण ययातिए गुप्त रीते तेने पत्नी बनावी तेथी शुक्राचार्ये तेने वृद्धावस्था प्राप्त थवानो शाप आप्यो. पुरुए ए वृद्धावस्था स्वीकारीने पिताने फरी जुवानी प्राप्त करावी. यवद्वीप पुं० जावा. तेने 'पूर्वकलिंग' पण कहेता. याज्ञवल्क्य पुं० एक ब्रह्मर्षि; वैशंपायनना शिष्य. तेमने मैत्रेयी अने कात्यायनी बे स्त्रीओ हती. वाजसनी शाखाना प्रवर्तक. मोटा ब्रह्मनिष्ठ. देवरात-जनकने ब्रह्मविद्या आपेली. यामुनगिरि पुं० (१)हिमालयनुं शिखरं. त्यां पांडवो थोडो समय रहेला. अजगररूप धारी नहुष त्यां भीमने गळी गयेलो, त्यारे धर्मे तेने छोडावेलो. (२)गंगा तथा यमुना वच्चेनो एक पर्वत. यास्क पुं० चोथा वेदांग ‘निघंटु' उपरनी टीका 'निरुक्त 'नो कर्ता. वैदिक शब्दो अने मंत्रोना अर्थ समजावे छे. भारतनो अग्रणी भाषाशास्त्री कहेवाय. ई. स. पूर्वे ८मा के ७मा सैकामां थई गयो. युगंधर पुं० कुरुक्षेत्र नजीक आवेलो यमुनाना पश्चिम किनारा उपरनो प्रदेश. युधाजित् पुं० केकय देशना अश्वपति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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