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________________ हितकर्त हितकर्तृ वि० हितकर [ हितेच्छु हितकाम वि० हित करवानी इच्छावाळु; हितकाम्या स्त्री० बीजाना हितनी इच्छा हितकारक, हितकृत् वि० हितकर ( २ ) पुं० हित करनारो हितबुद्धि वि० हितेच्छु हितवचन न० हितकर सलाह हितानुबंधिन् वि० हित करनाएं हितान्वेषिन् वि० हितेच्छु हिताशंसा स्त्री० हित इच्छवं ते हितेच्छु वि० हित- भलुं इच्छनाएं हितैषिन् वि० हितचिंतक, हितेच्छु हितोपदेश पुं० मित्रताभरी सलाह; हितकर उपदेश हिम वि० ठंडु ( २ ) झाकळभर्युं ( ३) पुं० हेमंत ऋतु; शियाळो (४) चंद्र (५) हिमालय पर्वत ( ६ ) न० बरफ ( ७ ) खत ठार (८) अतिशय ठंडी हिमकर पुं० चंद्र हिमगिरि पुं० हिमालय पर्वत हिमगु पुं० चंद्र (शीतळ किरणवाळो ) हिमगृह न० ठंडक थाय तेवां साधनोवाळो ओरडो हिमदीधिति, हिमद्युति पुं० चंद्र हिमद्रुम पुं० लीमst हिमद्रुह, पुं० सूर्य [ वरसो ते हिमपात पुं० ठंडो वरसाद ( २ ) बरफ हिमरश्मि पुं० चंद्र हिमवत् वि० बरफवाळूं; झाकळवाळं (२) पुं० हिमालय पर्वत हिमवत्पुर न० हिमालयनी राजधानी ५९१ ( औषधिप्रस्थ ) हिमवत्सुता स्त्री० पार्वती (२) गंगा हिमवालुक पुं०, हिमवालुका स्त्री० कपूर हिमश्रथ पुं० चंद्र [ सरोवर हिमसरस् न० ठंडुं पाणी (२) बरफनुं हिमतपुं० चंद्र हिमस्रुति स्त्री० बरफनो वरसाद हिमागम पुं० हेमंत ऋतु; शियाळो Jain Education International हिंगु हिमाचल पुं० हिमालय हिमाचलजा, हिमाचलतनया स्त्री० पार्वती (२) गंगा नदी हिमाद्रि पुं० हिमालय पर्वत हिमाद्रिजा, हिमाद्रितनया स्त्री० पार्वती (२) गंगा नदी हिमानी स्त्री० बरफनो जथ्थो - ढगलो हिमापह पुं० अग्नि (ठंडी दूर करनारो) हिमाराति पुं० सूर्य ( २ ) अग्नि हिमारि पुं० अग्नि हिमारिशत्रु पुं० पाणी हिमार्त वि० ठंडीथी पीडायेलुं हिमालय पुं० हिमालय पर्वत हिमालयसुता स्त्री० पार्वती [झाकळ हिमांबु, हिमांनस् न० ठंडु पाणी ( २ ) हिमांशु पुं० चंद्र हिमांश्वभिख्य न० रूपुं हिमित वि० बरफ थई गयेलुं हिमोल पुं० चंद्र हिरण्मय वि० सोनानुं (२) पुं० ब्रह्मा हिरण्य न० सोनुं ( २ ) सोनानुं पात्र ( ३ ) पुं (४) कोई पण कीमती धातु ( ५ ) समृद्धि; धन दोलत हिरण्यकर्तृ पुं० सोनी [ पिता हिरण्यकशिपु पुं० एक दानव प्रह्लादनी हिरण्यगर्भ पुं० ब्रह्मा (२) विष्णु (३) सूक्ष्म शरीरयुक्त आत्मा हिरण्यद पुं० समुद्र हिरण्यदा स्त्री० पृथ्वी हिरण्यनाभ पुं० मैनाक पर्वत ( २ ) विष्णु हिरण्यय वि० सोनानुं ; सुवर्णमय हिरण्यरेतस् पुं० अग्नि (२) सूर्य (३) शिव हिरण्यव पुं० देवनुं द्रव्य ( २ ) सोनानुं घरेणुं [ भाई हिरण्याक्ष पुं० हिरण्यकशिपुनो जोडियो हिल ६ प ० हळवं ; रमवुं (२) कामभाव प्रकट करवो हिल्लोल पुं० मोजूं; तरंग हिंगु पुं० न० हिंगनुं वृक्ष (२) हिंग For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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