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________________ रोमोद्गम ४१४ रोमोद्गम, रोमोभेद पुं० रोमांच रोहिणीतनय पुं० बलराम रोरुदा स्त्री० अतिशय रोवू ते रोहिणीपति पुं० चंद्र रोलंब पुं० भमरो रोहिणीशकट पुं० रोहिणी नक्षत्र रोष पुं० गुस्सो; क्रोध (गाल्ली जेवा आकार-) रोषफ वि० क्रोधी; झट गुस्से थतुं रोहित वि० लाल रंगर्नु; रातुं (२) रोषणता स्त्री० क्रोध; गुस्सो पुं० रातो वर्ण (३) हरिश्चंद्रनो पुत्र रोषित वि० गुस्से थयेलं रोहिताश्व पुं० अग्नि रोह वि० ऊगतं (२) ऊंचं थतं- चडतं रोक्म वि० सोना(३) सवारी करतुं (४) पुं० ऊंचाई रोक्मिणेय पुं० प्रद्युम्न (५) ऊंचुं चडते (६) फणगो; कळी रौक्ष्य न० रूखापणुं; सूकापणुं (२) (७) उत्पादक कारण (८) सवार कठोरता; क्रूरता (३) गरीबाई (घोडा इ० नो) [(लंकामां) रोचनिक वि० पीळाश पडतुं रोहण, रोहणगिरि पुं० एक पर्वत रौद्र वि० रुद्र जेवू; भयंकर; क्रोधी (२) रोहि पुं० एक जातनो मृग रुद्र संबंधी (३) अनिष्ट लावनारु रोहिण पुं० वड रौधिर वि० लोहीवाळू; लोहीनुं रोहिणी स्त्री० राती गाय (२) ४ ) रौप्य वि० रूपानं नक्षत्र; एक दक्ष कन्या (चंद्रने अतिशय रौरव वि० रुरु मृगना चामडा, (२) प्रिय छे) (३) बलरामनी माता (४) भयंकर (३)कपटी (४) पुं० एक नरक जेने ऋतुस्राव तरतमां ज शरू थयो । रौहिणेय पुं० बलराम होय तेवी कन्या रोही स्त्री० रोहि मृगनी मादा लकुट पुं० गदा; दंडो लक्ष् १ आ० जोवू; निहाळवू (२) १० उ० देखवू (३) दर्शावq (४) व्याख्या करवी (५) गौण अर्थ बताववो-थवो (६) ताकवू (७) विचार लक्ष न० लाख (संख्या) (२) लक्ष्य; निशान (३) चिह्न (४) बहानु; मिष लक्षण न० चिह्न; विशिष्टता (२) निशानी (रोगनी) (३) गुण; विशिष्ट धर्म (४) तेवा धर्मनुं कथन के व्याख्या (५) शरीर उपरनुं शुभ के अशुभ सूचक चिह्न (६) नाम; विशेषनाम (७) उत्तमता; श्रेष्ठता; सारो गुण (८) हेतु; लक्ष (९) ढोंग; बहानुं (१०) गुह्येद्रिय लक्षणसंनिपात पुं० छाप लगाववी ते लक्षणा स्त्री० उद्देश; हेतु (२)लक्ष्यार्थथी शब्दनो बोध करावनार शक्ति (व्या०) लक्षणिन् वि० लक्षणो युक्त लक्षित ('लक्ष' नुं भू० कृ०) वि० नजरे पडेलु; देखायेलुं (२) दर्शावेलु (३) अंकित करेलु (४) व्याख्या करेलु (५) तपासेलुं (६) विचारेलु लक्षिन् वि० शुभ लक्षणोवाळं लक्षीकृ ८ उ० लक्ष्य करवू (२) उद्देशq लक्ष्मण वि० लक्षणवाळू (२) शुभ लक्षणवाळं(३)नसीबदार; समृद्ध(४)पुं० रामना नाना भाई; सुमित्राना पुत्र (५) न० निशानी; चिह्न (६) नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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