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________________ ४१३ रेखा रेखा स्त्री० लीटी; लेखा (२)पंक्ति (३) चित्रनी रेखा रेखामात्रम् अ० रेखा जेटलुं - थोडं पण रेचक पुं० श्वास बहार काढवो ते (पूरक' थी ऊलटुं) (२) पिचकारी (३) न० जुलाब रेचित वि० साफ - खाली करेलु रेगु पुं०, स्त्री० धूळ ; रज (२) पराग रेणुक पुं० शस्त्रो उपर बोलातो एक मंत्र रेणुका स्त्री० परशुरामनी माता; जमदग्निनी पत्नी रेतस् न० वीर्य; शुक्र रेफ वि० दुष्ट ; नीच (२) पुं० 'र' वर्ण रेभ वि० मोटो अवाज करतुं रेवती स्त्री० २७ मुं नक्षत्र (३२ ताराओ वाळु) (२) बलरामनी पत्नी (३) गाय रेवा स्त्री० नर्मदा नदी रै पुं० द्रव्य ; धन (२) सोनुं(३)अवाज रैमय न० सोनुं रैवत वि० समृद्ध (२)पुष्कळ (३)सुंदर रैवतक पुं० द्वारिका नजीकनो पर्वत रोन पुं० व्याधि; बीमारी रोगभाज वि० मांएं; बीमार रोगिन् वि० मांदु; बीमार रोचक वि० प्रकाशित करतुं (२) अनुकूळ ; मनगमतुं (३) भूख वधारतुं (४) न० भूख (५) भूख वधारनार औषध (६) पुं० काचनां के कृत्रिम घरेणां बनावनारो रोचन वि० प्रकाशित करनारं (२) प्रकाशित; सुंदर; रमणीय; मनगमतुं (३) भूख वधारनारं रोजता स्त्री० सुंदर स्त्री (२) उज्ज्वळ आकाश (३) गोरोचना रोचमान वि० तेजस्वी (२) मनोहर; सुंदर (३) न० घोडानी गरदन उपरनो वाळनो गुच्छो रोचिनी स्त्री० गोरोचना रोचिस् न० प्रभा; तेज; कांति रोमांच रोदस् न०, रोदसी स्त्री० पृथ्वी तथा आकाश रोध पुं० अटकावq - रोकवू ते (२) अटकायत; प्रतिबंध (३) बंध करवं ते (४) घेरो (५) बंध . रोधक वि० रोकनारं; अटकावनाएं रोधन पुं० बुधग्रह (२) न० अटकायत, रुकावट, प्रतिबंध, केद इ० रोधस् न० बंध (२)किनारो (३)पर्वतनो ढोळाव (४) स्त्रीनो नितंब रोधिन् वि० अटकावनाएं; रोकनारं (२) भरी काढतुं; ढांकी देतुं रोप पुं० रोप, ते (२) ऊंचं करवू ते (३) बाण (४) छिद्र रोपण न० रोपवू-ऊकरवं ते (२) वावq ते (३) रुझावं ते (४)पुं० बाण रोपशिखिन् पुं० बाणोथी थयेलो अग्नि रोपित वि: रोपेलु; ऊ, करेलु (२) ताकेलं (बाण) (३) जडेलुं (रत्न) रोमक पुं० रोम शहेर (२) रोमवासी रोमकूप पुं०, न० चामडी उपरतुं छिद्र (ज्यांथी वाळ नीकळे छे) रोमन न० रुवांद; रूंवं रोमराजि, रोमलता स्त्री० (दूंटी उपरनी) रुवाटांनी पंक्ति रोमवत् वि० रुवाटांवाळू रोमविकार पुं०, रोमविक्रिया स्त्री०, रोमविभेद पुं० रोमांच रोमश वि० वाळवाळु; रुवांटीवाळू (२) पुं० घेटु (३) भंड रोमहर्ष पुं० रोमांच रोमहर्षण वि० रोमांचकारक ; दंग करी मूके तेवू (२) न० रोमांच । रोमंथ पुं० पशुओनुं वागोळवू ते रोमावलि (-ली)स्त्री० रुवाटांनी पंक्ति (दूंटी उपरनी) रोमांक पुं० रोम-वाळ, चिह्न . रोमांकुर, रोमांच पुं० रूंवाडां खडां __ थई जवां ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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