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________________ afro (४) वच्चे घेरी लेवुं (५) बांधवुं ; पूरवुं (६) ढांकवु; संताडवुं (७) पीड afar fro लाल रंगनुं ( २ ) न० लोही (३) पुं० लाल रंग (४) मंगळग्रह ( ५ ) एक रत्न [ लोहीथी तरबोळ रुधिरप्लावित वि० लोहीथी खरडायेलुं ; रुरु पुं० एक जातनुं हरण रुशत् वि० मर्मवेधी (शब्द) रुष् ४ ५० रोष करवो; रोषे भरावुं ( २ ) १ प० ईजा करवी ; वध करवो (३) पजववुं चिडववुं रुष ( - षा) स्त्री० रोष; गुस्सो रुषित, रुष्ट ('रुष ' नुं भू० कृ० ) वि० गुस्से थयेलुं; रोषे भरायेलुं रुह् १ प० ऊगवुं ; फणगो फूटवो ( २ ) वध; विकस ( ३ ) घा रुझावो ( ४ ) पामवु; पूर्ण थवुं (इच्छा) - प्रेरक ० [रोपयति-ते, रोहयति - ते ] रोपवुं; वाववुं (२) ऊंचं करवुं (३) -ने सोंपवुं (४) -तरफ ताकवूंं के फेंक रुह ( है ) वि० ( समासने छेडे ) - मां ऊगतुं; -मां थतुं (उदा० 'पंकेरुह ' ) रंड वि० अपंग थयेलुं – करायेलुं (२) पुं०, न० धड (माथा विनानुं) रुक्ष वि० खडबडुं; कठण; कठोर (२) क्रूर (३) लखुं; चीकाश वगरनुं (४) उग्र (स्वाद) (५) सूकुं रूढ ('रुह, ' नुं भू० कृ० ) वि० ऊगेलं; फूटेलुं (२) उत्पन्न थयेलं ( ३ ) वधेलुं (४) ऊंचुं चडेलुं (५) मोटुं; दृढ ( ६ ) रूढि प्रमाणेनुं प्रचलित (७) लादेलुं; भार भरेलु (८) प्रख्या रूग्रंथि वि० गंठाई गयेलुं रूढयौवन वि० युवावस्था पामेलुं रूढव्रण वि० घा रुझाया होय तेनुं रूढसौहृद वि० दृढ मित्रतावाळु रूढि स्त्री० रुढ थयेली रीति के रिवाज (२) उत्पत्ति; जन्म (३) विकास; Jain Education International ४१२ रेक वृद्धि ( ४ ) ख्याति ; प्रसिद्धि (५) रूढ प्रचलित थयेलो अर्थ - रूप् उ० १० घडवुं; आकार आपको (२) भजववुं अभिनय करवो ( ३ ) निहाळीने जोवुं ( ४ ) वर्णन करवु रूप वि० अनुरूप (२) न० आकृति; देखाव (२) वर्ण (३) कोई पण दृश्य पदार्थ (४) सुंदर आकृति (५) कुदरती स्थिति (देश, काळथी भिन्न) (६) एक चलणी सिक्को (७) रूपुं (८) (समासने अंते ) ' - नुं बनेलुं; - ना देखाववाळं ' एवा अर्थमा (उदा० 'तपोरूप', 'धर्मरूप' ) रूपक वि० शरीरी ; स्थूल (२) लाक्षणिक ( शब्द इ० ) (३) पुं० एक सिक्को; रूपियो (४) न० आकृति; रूप (समासने अंते) (५) आविष्कार ( ६ ) मूर्ति ( (७) नाटक ( ८ ) एक अलंकार ( काव्य ० ) रूपकार, रूपकृत् पुं० सलाट; शिल्पी रूपण न० रूपकवाळु वर्णन (२) तपास ; परीक्षण रूपधर वि० -तुं रूप धारण करनाएं; -ना वेशमां छुपाये लुं [ करवुं रूपपरिकल्पना स्त्री० - तुं रूप धारण रूपवती स्त्री० सुंदर स्त्री रूपविपर्यय पुं० रूप बगडी जवं ते रूपसंपत्ति, रूपसंपद् स्त्री० श्रेष्ठ रूप रूपाजीवा स्त्री० वेश्या ( रूप व जीवनारी) [ मूर्तिमान रूपिन् वि० - ना जेवुं देखातुं (२) रूपोच्चप पुं० सुंदर स्वरूपोनो संग्रह रूप्य वि० सुंदर; मनोहर ( २ ) छा मारेलुं (३) न० रूपं (४) रूपानुं के सोनानुं चलणी नाणुं ( ५ ) सोनुं रूषित ( 'रूप' नुं भू० कृ० ) वि० शणगारायेलुं (२) खरडायेलु; लेपायेलुं (३) मेलुं थयेलुं (४) सुगंधित करेलुं रे अ० संबोधनार्थे वपरातो अव्यय रेक पुं० संदेह; संशय ( २ ) हलको - बहिष्कृत माणस For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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