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________________ मृण्मय ३८८ मेघाडंबर मृण्मय वि० माटी-; माटी, बनावेलु मद्ग वि० माटीमां ऊगतुं के थतुं मत ('म', भू० कृ०) वि० मरण मृदंगी स्त्री० नाजुक स्त्री पामेलं (२) मरण पामेला जेवू (३) मृद्वी, मृद्वीका स्त्री० द्राक्षनी वेल के मारेलु (पारो इ०) (४)न० मोत द्राक्षनुं झूमखं मृतक पुं०, न० मडएं (२) न० मरण- मृध न० लडाई; युद्ध सूतक [बेभान मन्मय वि० जुओ 'मृण्मय' मतकल्प वि० लगभग मरेला जेवू; मश ६ प० स्पर्श करवो (२) दबावQ मतनिर्यातक पुं० शबने स्मशानमां वहन (३) विचारणा करवी । करी जनार - डाघु मष १५० छांटq (२) १ उ० सहन मृतपा पुं० हलकी वर्णना लोक (जेओ करवू; वेठवू (३) छांटर्बु (४) मडदाने साचवे छे, उपाडे छे, तथा ४, १० उ० सहन करवू; वेठी लेवू (५) तेनां कपडां इ० ले छे) आववा देवू; परवानगी आपवी (६) मतसंजीवनी स्त्री० मरेलाने जीवतुं क्षमा आपवी (७) भूली जवं करवानी विद्या मृषा अ० फोगट ; नाहक (२) खोटेखोटुं मृत्तिका स्त्री० माटी मृषावाच स्त्री० कटाक्षमा बोलवू ते मृत्पिड पुं० माटीनुं ढे' मृषावाद पुं० असत्य कथन मंत्पिडबुद्धि वि० जड बुद्धिनुं मृषोद्य न० जूठं; जूठ मृत्यु पुं० मरण; मोत (२) यम मृष्ट ('मृज्' के 'मृश्' नुं भू० कृ०) मृत्युनाशन न० अमृत [मर्त्यलोक वि० साफ करेलं; स्वच्छ (२) मृत्युलोक पुं० यमलोक (२) पृथ्वी; खरडेलं; लेपेलं (३) स्पर्शल (४) मृत्युंजय पुं० शिव विचारेलु (५) भावे तेवू मृत्स्ना स्त्री० माटी मेखला स्त्री० कंदोरो (२) वीटनारी मद् ९ प० दबाववू;मसळवू (२) कचरवू; कोई पण वस्तु (३) ब्राह्मण, क्षत्रिय चूर्ण करी नाखवू(३)घस;-ने घसा, अने वैश्य ए त्रण वर्णो जे त्रण सेरनो (४) चडियाता थq (५)लूछी नाखवू कंदोरो पहेरे छे ते (४) पर्वतनो मद् स्त्री० माटी (२) ढेफु; रोड़ें नितंब भाग मृदंग पुं० बने बाजुएथी वगाडाय तेवू मेखलापद न० नितंब तबला जेवू वाद्य मेखलिन् पुं० ब्रह्मचारी (विद्यार्थी) सदंगकेतु पुं० युधिष्ठिर मेघ पुं० वादळ (रावणनो पुत्र) मृदित (मृद् 'नुं भू००)वि०दबायेखें; मेघनाद पुं० मेघगर्जना (२) इंद्रजित कचरायेलं (२) लूछी नाखेलं मेघराजि स्त्री० वादळोनी पंक्ति मदु वि० नरम; कोमळ; पोचुं मेघवाहन पुं० इंद्र (२) नबर्छ (३) मध्यम (४) धीमुं मेघश्याम वि० मेव जेवू श्याम (राम (५) अ० धीमेथी; मधुरताथी । अथवा कृष्ण) मदुगिर् वि० मृदु-धीमा अवाजवाळू मेघसंघात पुं० वादळ एकठां थवां ते मदुपूर्वम् अ० धीमेथी; कोमळताथी मेघस्तनित न० मेघगर्जना मृदुल वि० मृदु; कोमळ (२)न० पाणी मेघागम पुं० वर्षाऋतु मृदुसूर्य वि० सूर्य धीमेथी तपतो होय मेघाटोप पुं० गाढ वादळ तेवु (दिवस) मेघाडंबर पुं० वीजळीनो काटको Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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