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________________ मूषी ३८७ मृणाली मूषी स्त्री० उंदरडी मृगलांछन पुं० चंद्र [रेखा म ६ आ० [म्रियते] (अमुक काळनां मगलेखा पुं० चंद्र उपरनी मृग आकारनी रूपोमां प० पण)मर; नाश पाम। मगव्य न० शिकार मृग ४ प०, १ आ० शोधq; खोळवं मृगशाव पुं० हरण- बच्चुं (२)शिकार करवा पाछळ पडq (३) मृगशीर्ष पुं० मागशर महिनो मेळववा प्रयत्न करवो (४) तपासवं मंगाक्षी स्त्री० हरण जेवां नेत्रोवाळी स्त्री (५) याचवू (६) वारंवार जवू-आवq मृगाजिन न० हरणनुं चामडुं मृग पुं० चोपगुं प्राणी; पशु (२)जंगली मृगाधिप, मृगाधिपति, मृगाधिराज पुं० प्राणी(३)हरण (४)चंद्र उपरतुं तेवा सिंह (जानवरोनो राजा) आकार- चिह्न (५) मागशर महिनो मृगाराति, मुगारि पुं० सिंह, मृगकानन न० घणां मगोवाळं वन मृगावित् (-) पुं० शिकारी मृगचर्या स्त्री० मृगनी पेठे जीवq ते मगांक पुं० चंद्र (वनमां रहे, इ०, एक तप) । मगांगना, मुगी स्त्री० मुगली; हरणी मृगचारिन् वि० मृगचर्या आचरतुं मगक्षण न० हरण जेवी आंख (भक्त); तपस्वी मृगक्षणा स्त्री० जुओ 'मृगाक्षी' मृगेंद्र पुं० सिंह मगजल न० मृगजळ मृगजीवन पुं० पारधी मृच्छकटिका (मृद् + शकटिका) स्त्री० माटीनी गाडी (रमकडु) मृगतृष्णा, मृगतृष्णका स्त्री० मृगजळ मुगदर स्त्री० मृग जेवी आंखोवाळी स्त्री मज् २१०,१० उ० साफ करवू; वाळी मृगधुव वि० मृगनो शिकार करवामां के लूछी काढवू (२) मसळवू; थाबडवू जाननो सट्टो खेलतुं; मृगयानुं रसियुं (३) पाणीथी धोवू; मांजवू मृगधर पुं० चंद्र मुजा स्त्री० साफ करवू, धोवू के मांजवू मृगनयना स्त्री० हरिणाक्षी स्त्री ते (२)शुद्धि [कपडांवाळू मृगनाभि पुं० कस्तूरी (२) कस्तूरी मृग मजावत् वि० चोख्खाईवाळु (२)सारां मृगपति पुं० सिंह मृड् ६, ९ प० माफ करवू (२) खुश मृगपोत, मगपोतक पुं० हरण- बच्चुं करवु (३) खुश थQ मृगप्रभु पुं० सिंह मृडा, मृडानि, मृडी स्त्री० पार्वती मृगमद पुं० कस्तूरी मृणाल पुं०, न० कमळ वगेरेनी नाळमां मगमंद्र पुं० हाथीओनी एक जात होतो तंतु (३) एक जातनां कमळोनुं मगया पुं० शिकारे नीकळवू ते तंतुवाळु मूळियु मंगयाधर्म पुं० शिकारना नियमो मृणालभंग पुं० कमळनां तंतुनो टुकडो मृगयु पुं० शिकारी; पारधी मणालसूत्र न० कमळ-नाळनो तंतु मृगराज पुं० सिंह (२) चंद्र मृणालिका स्त्री० कमळनो दांडो अथवा मृगराजधारिन् पुं० शिव । तंतु (२) कमळनी वेल के फूल मंगराजलक्ष्मन् वि० चंद्र जेना मस्तक मृणालिनी स्त्री० कमळनी वेल (२) पर छे तेवू (शिव) (२) 'सिंह'ना कमळनो समूह (३) कमळो घणां थतां नाम के चिह्नवाळ होय तेवं स्थान मृगरोचना स्त्री० गोरोचन मृणाली स्त्री० जुओ 'मृणालिका' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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