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________________ मेघालोक ३८९ मोक्षण मेघालोक पुं० वादळ नजरे पडवां ते मेला स्त्री० संयोग (२)एकठा थq ते; मेघोदय पुं० वादळ ऊंचे आववां ते मंडळी; सभा (३)सुरमो (४) शाही मेचक वि० काळा रंगनुं (२) पुं० (५) गळी (६) एक मोटी संख्या काळो रंग(३)मोरना पीछामांनो चांदो मेव वि० पुष्कळ; घj मेचकित न० काळा रंगर्नु मेष पुं० घेटो (२) मेष राशि मेढ पुं० घेटो (२) महावत मेषपालक पुं० भरवाड मेढी स्त्री० थांभलो (पशु बांधवानो) मेषयूथ न० घेटांनुं टोळं मेढीभूत वि० मूळ केंद्र (जेनी आसपास मेह पुं० मूतर, ते (२) मूतर (३) बधुं फरे) मधुप्रमेह (४) घेटो; बकरो मेथि पुं० जुओ 'मेढी' मैत्र वि० मित्र; मित्र संबंधी (२) मेद पुं० चरबी मित्रे आपेल (३) मित्रताभयं (४) मेदस् न० मेदधातु (२)शरीरनी जाडाई मित्रदेव संबंधी (मुहूर्त)(५)पुं० मित्र मेदस्विन् वि. चरबीवाळू (२) जाडु; (६) उत्तम ब्राह्मण (७) न० मित्रता मजबूत [स्थळ; जगा मैत्रक न० मित्रता मेदिनी स्त्री० पृथ्वी (२) जमीन (३) मैत्रावरुण (-णि) पुं० वाल्मीकि (२) मेदुर वि० जाडु (२) स्निग्ध; सुंवाळू अगस्त्य (३) वसिष्ठ (३) गाढुं; छवायेलं; पूर्ण मैत्रेय वि० मित्रन; मित्र संबंधी मेरित वि० गाढुं थयेलु (२) चीकj मंत्र्य न० मित्रता; दोस्ती मेष पुं० यज्ञ (२) यज्ञमां होमवानुं पशु मैथिल पुं० मिथिलानो राजा - जनक (३) आहुति मैथिली स्त्री० सीता मेषज पुं० विष्णु मैथुन वि० लग्नथी जोडायेलु (२) न० मेषा स्त्री० बुद्धि (२) यादशक्ति लग्न (३) कामसंभोग मेधायिन् वि० बुद्धिमान; डाह्य (२) मैथुनीभाव पुं० कामसंभोग सारी स्मरणशक्तिवाळु (३) पुं० मैनाक पुं० एक पर्वत (हिमालयनो पुत्र; पंडित; विद्वान समुद्रनी मित्रताने कारणे तेनी पांखो मेध्य वि० यज्ञने योग्य (२) यज्ञ संबंधी कपाती बची गई छे) (३) पवित्र (४) बुद्धिमान मैरेय, मैरेयक पुं०, न० एक जातनुं मेनका स्त्री० स्वर्गनी एक अप्सरा (२) नशाकारक पेय (सुरा अने आसवर्नु हिमालयनी पत्नी मिश्रण) [चामडी मेना स्त्री० हिमालयनी पत्नी मोक न० प्राणीनी उतारी काढेली मेय वि० मापवा योग्य ; मापी शकाय मोक्तव्य वि० छुटं करवा योग्य (२) तेवू (२) ज्ञेय; जाणी शकाय तेवू त्यागवा योग्य (३) उपर फेंकवा योग्य मेरु पुं० एक काल्पनिक पर्वत (जेनी मोक्ष १ ५०, १० उ० मुक्त करवू; आसपास ग्रह-नक्षत्र फरे छे) (२) छूटुं करवू (२) फेंकवु (३)तजी देवू माळानो मुख्य मणको [ मेळावडो मोक्ष पुं० मुक्ति (२) बचाव (३) मेल, मेलक पुं० मिलाप (२)मेळो (३) नीचे गरी पडवू ते (४) छूटुं के मेलन न० मिलाप (२) जोडाण (३) ढीलुं करवू ते (५) फेंक के वेर ते मिश्रण (४) लडाई; सामनो मोक्षण न० मुक्त के छूटुं करवू ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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