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________________ २०२ त्रिंशत् त्रिंशत्, त्रिंशति स्त्री० त्रीस (संख्या) त्रुट ४, ६५० तूटवू; फूटवू त्रुटित ('त्रुट' नुं भू० कृ०)वि० तूटेखें; भांगेलं; तोडेलु; फोडेलु त्रेता स्त्री० चार युगोमांनो बीजो (२) पासानो एक दाव (त्रणनी निशानीवाळो) (३)अग्निहोत्रना त्रण पवित्र अग्नि(गार्हपत्य,दक्षिण अने आहवनीय) त्रेधा अ० त्रण प्रकारे; त्रण रीते । त्रै १ आ० रक्षण करवं; बचाव कालिक, काल्य वि. वर्तमानभूत-भविष्य -ए त्रण काळ संबंधी (२) न० त्रण काळ (वर्तमान, भूत, भविष्य अथवा सूर्योदय, मध्याह्न अने सूर्यास्त) त्रैगुण्य न० सत्त्व-रजस्-तमस् -ए त्रण गुणोनो समूह (२)त्रण गुणनुं बनेलं के त्रण गुणवाळ होवू ते त्रैमातुर पुं० लक्ष्मण त्रैलोक्य न० स्वर्ग, मृत्यु, पाताळ -ए त्रण लोकनो समुदाय त्रैलोक्यप्रभव पुं० राम त्रैलोक्यबंधु पुं० सूर्य [त्रणने लगतुं त्रैवर्गिक वि० धर्म, अर्थ, काम -ए वणिक वि० प्रथम त्रण वर्णने लगतुं त्रैविक्रम वि० विष्णु संबंधी (२)विष्णुए भरेलांत्रण पगलां संबंधी विद्य वि० त्रणे वेद जाणनाएं (२) त्रण वेदोए प्रवर्तावेलु (३) न० त्रण वेदोनो समूह त्रोटक न० नाटकनो एक प्रकार त्रोटि (-टी) स्त्री० चांच त्रोत्र न० हांकवानो परोणो त्र्यक्ष पुं० शंकर (त्रण आंखवाळा) त्र्यंग न० त्रण विभाग (रथ, अश्व, पदाति)-वाळं लश्कर त्र्यंबक पुं० शिव (त्रण आंखवाळा) त्वकत्र न० बख्तर त्वच्, त्वचा स्त्री० चामड़ी (२)छाल (३) स्पर्शद्रिय (४) कोई पण वस्तुनो उपरनो ढांकण जेवो भाग त्वत् (-द्) केटलाक समासोनी शरू आतमां बीजा पुरुष सर्वनाम (युष्मद्')नुं रूप (उदा० 'त्वदधीन'; 'त्वत्सादृश्यम्') (२) 'तारी पासेथी' ('युष्मद् ' नुं पांचमी विभक्ति एकवचन- रूप) त्वदीय वि० तारु त्वद्विध वि० तारा जे त्वर् १ आ० उतावळ करवी ___-प्रेरक० उतावळ कराववी (२) । उतावळथी बोलावी लेवू त्वरता, त्वरा स्त्री० उतावळ ; झडप त्वरित वि० उतावळु; शीघ्र (२) न० त्वरा; उतावळ त्वरितम् अ० उतावळथी; वेगे त्वष्ट्र पुं० सुथार (२) देवोनो सुथार - विश्वकर्मा (३) प्रजापति । त्वंकार पुं० तुकारो; तुं' थी बोलावते त्वंग १५० जq; चालवू (२) कूदको मारवो (३) धूजर्बु समान त्वादृश् (-श) वि० तारा जेवू ; तारी त्विष १ उ० प्रकाश; चळक; बळवं विष् स्त्री० प्रकाश; तेज; चळकाट (२) सौंदर्य ; कांति (३) तीव्रता सरु पुं० तरवार वगेरेनी मूठ त्सारक वि० तरवार वापरवामां कुशळ थुत्कार, थूत्कार पुं०, थूत्कृत न० धुंकवानो अवाज थे थे अ० एक वाद्यना ध्वनिनी जेम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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