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________________ २०३ द वि० (समासने छेडे) आपनाएं; वधारनारुं (उदा० 'जलद') दक न० पाणी; उदक दक्ष १ प० बीजाने संतोष थाय तेम वर्तवं (२) १ आ० शक्तिमान थवं (३) जलदी करवं (४) वधवं (५) जवू (६) वध करवो -प्रेरक० खुश कर दक्ष वि० प्रवीण ; कुशळ (२) योग्य (३) सावध ; तत्पर (४) पुं० जमणी बाजु (५) एक प्रजापति (शिवना ससरा- सतीना पिता) दक्षकन्या, दक्षतनया, दक्षसुता स्त्री० सती (बीजे जन्मे पार्वती) (२)नक्षत्र (२७ नक्षत्र-कन्याओ जेमने चंद्र साथे परणावी हती तेमांनी दरेक) दक्षिण वि० चतुर; कुशळ (२) जमणं; जमणी तरफ आवेलुं (३) दक्षिण दिशा तरफ४ (४) प्रमाणिक (५) योग्य (६) अनुकूळ ; वश (७) सभ्य (८)पुं० जमणो हाथ (९) अग्निहोत्रना त्रण अग्नि पैकी एक (१०) पुं०, न० जमणी बाजु (११) दक्षिण दिशा दक्षिणपश्चिमा स्त्री० नैर्ऋत्य खूणो दक्षिणपूर्वा स्त्री० अग्नि खूणो दक्षिणा अ० जमणी बाजुए (२) दक्षिण तरफ (३) स्त्री० धर्मकार्यमां ब्राह्मणने अपातुं दान (४०)प्रजापतिनी पुत्री अने यज्ञनी पत्नी (५) महेनतना बदलामां अपातो पुरस्कार (६) दक्षिण दिशा (७) दुधाळी गाय दक्षिणाचार वि० प्रमाणिक; सदाचारी वक्षिणापथ पुं० दक्षिणदेश दक्षिणायन न० सूर्य, कर्क राशिमां जq ते (२) न० कर्कसंक्रांतिथी मकरसंक्रांति सुधीनो समय दक्षिणार्ह वि० दक्षिणा आपवा लायक दक्षिणावर्त वि० डाबीथी मांडीने जमणी बाजु तरफ वळतुं (शंख) (२) पुं० तेवो शंख (३) दक्षिणदेश दक्षिणीय वि० दक्षिणाने योग्य दक्षिणेतर वि० डाबु (हाथ के पग) दक्षिणेन अ० जमणी बाजुए। दक्षिण्य वि. जुओ 'दक्षिणीय' दग्ध ('दह,' नुं भू० कृ०) वि० अग्निथी बळी गयेलं (२) शोकथी संतप्त (३) अशुभ (४) दुष्ट ; निंद्य दग्धजठर न० भूख्यु पेट; बळयु पेट दघ्न वि० सुधी पहोंचतुं, -जेटलं ऊंचं के ऊडु -ए अर्थमां नामने छेडे जोडाय छे (उदा० 'उरुदघ्न') दच्छद (दत् + छद) पुं० होठ दत् पुं० ('दंत' ने बदले विकल्पे वपराय छ; एना पहेलां पांच रूपो नथी) दांत दत्त ('दा' नुं भू० कृ०) वि० अपायेलं; भेट अपायेलु (२) मुकायेलुं (३) रक्षायेलु (४) पुं० दत्तकपुत्र (५) दत्तात्रेय (६) न० दान; बक्षिस दत्तक पुं० शास्त्रविधि प्रमाणे पोतानो करेलो (बीजानो) पुत्र दत्तदृष्टि वि० तरफ जोतुं दत्तहस्त वि० टेका माटे हाथ आपेलु (२) मदद करायेलं दत्तावधान वि० एकाग्र; लक्षवाळू दत्ति स्त्री० बक्षिस; भेट दद् १ आ० आपq; बक्षिस आपवी दद्रु पुं० दादर; खरजवू (२) एक जातनो कोढ दधि न० दहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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