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________________ गोकुल गोकुल न० गायोनुषण (२) गायनी कोड (३)श्रीकृष्ण ऊछा हता ते गाम गोचर वि० ढोर जेना पर चरवा फरतां होय तेवु (२) वारंवार जतुं- रहेतुं (३) -ना क्षेत्रमा आवतुं; -नी शक्तिनी मर्यादामां आवतुं (४) पृथ्वी उपर फरतुं (५)-वडे प्राप्त थई शके तेवू (६) पुं० चरो; चरवानी जगा (७) क्षेत्र; निवासस्थान (८) इंद्रिय पहोंची शके ते क्षेत्र (९) मर्यादा; क्षेत्र ; विषय (१०) काबू; सत्ता (११) दृष्टिमर्यादा; क्षितिज गोणी स्त्री० धान्य भरवानी गुण गोत्र न० गायनी कोढवाडगे (२) कुटुंब; वंश (३) नाम (४)समुदाय(५) पुं० पर्वत गोत्रज वि० एक ज गोत्रमा जन्मेलं उत्पन्न थयेलं गोत्रपट पुं० वंशवृक्ष गोत्रभिद् पुं० इंद्र गोत्रस्खलन, गोत्रस्वलित न० नाम देवामां भूल करवी ते गोदा स्त्री० गोदावरी नदी गोदाम न० गायोन दाम (२) वाळनी बाधा उतराववानो विधि गोदुह, (-ह) पुं० गोवाळ गोधर पुं० पर्वत गोषा स्त्री० धनुष्यनी पणछ न वागे माटे डाबे हाथे बांधवानो पटो (२)घो गोधुम, गोषम पुं० घउं गोधूलि स्त्री० संध्याकाळ ; गायोनो चरीने पाछी आववानो समय गोध्र पुं० जुओ 'गोधर' गोन पुं० सारस पक्षी (२) शिव (आखलानी पेठे गर्जना करता) गोप पुं० गोवाळ (२) रक्षण करनार (३) गुप्त राखq ते गोपचाप पुं० मेघधनुष्य गोपति पुं० गायोनो मालिक(२)आखलो; । सांढ (३) सूर्य (४) इंद्र (५)श्रीकृष्ण (६) शंकर (७) वरुण गोलक गोपन न० रक्षण (२) गुप्त राखवू ते; संताड ते गोपनीय वि० रक्षण करवा योग्य (२) छुपाववा योग्य (३) छानु गोपाटषिक पुं० गोवाळियो गोपाध्यक्ष पुं० श्रीकृष्ण गोपामती स्त्री० छापरानुं लाकडं गोपाल पुं० गोवाळ (२)श्रीकृष्ण (३) राजा (४) शंकर गोपालपानी स्त्री० गायोनी कोढ गोपालि पुं० शंकर करनार स्त्री गोपिका स्त्री० गोवाळण (२) रक्षण गोपित वि० छुपावेलु; गुप्त राखेल गोपी स्त्री० जुओ 'गोपिका' गोपुत्र पुं० बळद (२)कर्ण (सूर्यनो पुत्र) गोपुर न० नगरनो दरवाजो (२) मंदिरनो दरवाजो (३) मुख्य दरवाजो गोपेंद्र पुं० श्रीकृष्ण [(३) विष्णु गोप्त पुं० रक्षण करनार (२) संताडनार गोप्य वि० रक्षण करवा योग्य (२) छुपाववा योग्य शिके तेवू स्थान गोप्रतार पुं० गायो ज्यां नदी ओळंगी गोमतल्लिका स्त्री० उत्तम गाय गोमय पं. गोवाळियो गोमय पुं०, न० छाण गोमायु पुं० शियाळ गोमुख पुं०, न० एक वाद्य (२) न० गोमुखी; माळा फेरववानी थेली गोयान न० बळदगाडु गोयुत न० बे कोसनुं अंतर गोरस पुं०(गायनां)दूध, दही, माखण इ० गोल्त न० जुओ ‘गोयुत' गोरोचना स्त्री. गायना माथामांथी मळती के तेना पित्त या मूत्रमाथी बनावाती पीळी औषधि गोल पुं०, न० दडो; गोळो (२) वर्तुळ गोलक पुं० गोळो; दडो (२)विधवानो जारज पुत्र (३) गोळो; गोळ घडो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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