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________________ कुरंगाक्षी स्त्री० जुओ 'कुरंगनयना' कुरु पुं० (ब०व०) अत्यारना दिल्हीनी आसपासनोप्रदेश (२) ए देशना चंद्रवंशी राजाओ कुरुक्षेत्र न. दिल्ही नजीकर्नु, पांडवो अने कौरवोना युद्ध स्थळ कुरुवृद्ध पुं० भीष्मपितामह कुरूप वि० कदरू'; वेडोळ कुकुंट पुं० कूकडो (२) कचरो कुकुर पु० कूतरो कुई १ उ० जुओ 'कुर्दु कुर्दन न० जुओ 'कूर्दन' कुपर पुं० जुओ 'कर्पर' कुल न० कुटुंब; वंश (२) कुटुंबनुं निवासस्थान (३) ऊंचे कुळ (४) टोळं; जूथ (५) गोत्र; जाति; ज्ञाति कुलक न० समूह (२) सळंग वाक्यसंबंधवाळा पांचथी पंदर श्लोकोनो समूह कुबेर पुं० धननो अधिपति देव ; यक्षो अने किन्नरोनो राजा; उत्तर दिशानो दिक्पाल (ते कदरूपो मनाय छे : त्रण पग, आठ दांत तथा आंखने ठेकाणे मात्र एक ज पीळा चाठावाळो) कुब्ज वि० खूधं; कूबडु कुमार पुं० नानो छोकरो (पांच वर्षनी अंदरना) (२) युवराज (३)कातिकेय । कुमारक पुं० कुमार (२)आंखनो डोळो कुमारभत्या स्त्री० नाना बाळकनी के गर्भिणीनी सार-संभाळ । कुमारवत न० अखंड ब्रह्मचर्यन वत कुमारिका स्त्री० दसथी बार वर्षनी वयनी छोकरी (२) कुंवारी कन्या (३) दीकरी; पुत्री कुमारिकापुर न० कन्याओन अंतःपुर कुमद् न० सफेद पोयj (२) रातुं कमळ कुमुद पुं०, न० सफेद पोयण (चंद्रोदये खीलतुं) (२) रानु कमळ कुमुदनाथ, कुमुदबांधव पुं० चंद्र कुमुदाकर पु. कमलपूर्ण सरोवर कुमुदिनी स्त्री० सफेद पोयणांनी वेल (२) कमळसमूह (३) ज्यां कमळ घणां होय ते स्थळ कुमद्वत् वि० घणां कमळवाळं कुमद्वती स्त्री० पोयणांनी वेल (२) कमळपमूह (३)घणां कमळवाळं स्थान कुरब, कुरबक पुं० जुओ 'कुरव' कुरर पुं० क्रौंच पक्षी कुररी स्त्री० मादा क्रौंच पक्षी कुरल पुं० जुओ ‘कुरर' तिनुं फूल कुरव, कुरवक पुं० एक फूलझाड(२)न० कुरंग, कुरंगक पुं० मृग; हरण (२) चंद्रन कलंक [वाळी स्त्री कुरंगनयना स्त्री॰हरण जेवां चपळ नेत्रकुरंगनाभि स्त्री० कस्तूरी कुरंगम पुं० जुओ 'कुरंग' [वाळो) कुरंगलांछन पुं० चंद्र (हरणना चिह्न कुलकन्यका स्त्री० ऊंचा कुळनी कन्या कुलक्षण वि० अमंगळ लक्षणोवाळू कूलजन पं० सारा कुळमां जन्मेलो कुलजात. वि० ऊंचा कुळy (२) वंश परंपरागत कुलटा स्त्री० व्यभिचारिणी स्त्री कुलदेवता स्त्री० कुळनो इष्ट देव के देवी कुलधन वि० कुळनी कीर्ति ए ज जेन धन छ तेवं (२) न० कुटंवे - कुळे मानेली मोंघी मिलकत कुलधुर्य पुं० मोटी उमरनो पुत्र (जे कुटुंबनी धुरा वहन करी शके) कुलनंदन वि० कुळनी कीति वधारनारु कुलपति पुं० कुटुंबनो मुख्य पुरुष (२) दश हजार शिष्योने आश्रममा राखीने भणावनार आचार्य कुलपर्वत पुं० जुओ 'कुलाचल' कुलपांसन वि० कुळने बट्टो लगाडनाएं कुलपुत्र पुं० ऊंचा कुळमां जन्मेलो युवान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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