________________ 652 पाइअसहमहण्णवो होरा-हास होरा स्त्री होरा] 1 खडी या खलो से की हुई 'होलाहगिद्धकुक्कुडहंसबगाईसु सउणजाईसु। होलिया स्त्री [होलिका] होली, फागुन मास रेखा (गा 435) / 2 ज्योतिष-शास्त्र में उक्त जं खुहवसेरण खद्धा किमिमाई तेवि खामेमि' / | का पर्व-विशेष (सट्ठि 78 टी)। लग्न (मोह 101) / 3 होराज्ञापक शास्त्र (खा 13) / होस देखो हो = भू / ' (स 602) / ३एक तरह की गाली, अपमान-सूचक शब्दहोल पुंस्त्री [दे] 1 वाद्य-विशेष, होलं वाएह मूर्ख, बेवकूफ (प्राचा 2, 4, 1,6; 11 ह्रद देखो दह (पिंड 84, पि 366 ए)। मे इत्थ' (धर्मवि 44); 'पाढत्तं मजपारणं दस 7,14,164 वाय पुं [°वाद] दुर्वचन हस्स देखो रहस्स = ह्रस्व (पि 354) / वायावेइ होलं' (सुख 3, 1) / 2 पक्षि-विशेष; | बोलना, गाली-प्रदान (सूत्र 1, 6, 27) / हास देखो हास = ह्रास (गदि 206 टी)। // इन पाइअसदमण्णवम्मि हाराइसहसंकलणो अटुतीसइमो तरंगो समत्तो। समत्तो अ तस्समत्तीए एस गंथो / / - सत्थाण। सहयाई महेसीहिं विडाओ बुड्ढिचंदो पसत्थी [प्रशस्तिः] आसाइ पच्छिमाए भारह-बासे इहत्थि अइ-रम्मो / गुज्जर णामा देसो पुवं लाढो त्ति विक्खाओ ॥शातस्सुत्तर-दिसि-भाए पुरं पुराणं पुराणमइ-पवरं / राहणपुरं ति अच्छइ सच्छाण जिणिंद-भवणाणं / / 2 / / चंगाणं तुङ्गागं धय-बड-सेअंवलेहिं चलिरेहिं / पडिसेहतं पिव जं णिअ-वासि-जणे अहम्माओ ||3|| णिअ-पाय-ण्णासेणं वासेण य वास-याल-पेरंतं / जं पुण कयं पवित्तं जय-गुरु-पमुहेहिं सूरीहिं // 4|| [कुलयं] - तव्वत्थव्यों आसी सिट्ठी सिरिमाल-बस-वर-रयणं / णामेण तिअमचंदो दक्खिण्ण-दयाइ-गुण-कलिओ ||5|| आवय-संपत्तीणं संपत्तीए वि जेण णिअचित्ते / दिण्णो णेव कयाई विसाय-हरिसाण अवयासो // 6 // [जुग्गं]अणवज्ज-कन्ज-सज्जा धम्म-मणा धम्मपत्ती से धणिअं। सीलाइ-गुण-प्पहाणा पहाणदेवि त्ति अ अऽसि ॥जा. तेसिं दो तणुजम्मा आबल्लं लद्ध-धम्म-सकारा / जिट्ठो हरगोविंदो कणिटुओ वुड्ढिचंदो ओ ||3|| सत्थ-विसारय-जइणायरिएहिं विजयधम्म-सूरीहिं / कासीइ महेसीहिं विजागारम्मि संठविए / / 9 / / गंतूण सोअरेहिं तेहिं बेद्दिपि तत्थ सत्थाणं। सकय-पययमयाणं अब्भासोकाउमारद्धो // 10 // खण-दिट्ठ-गट्ठ-भावं संसारं सार-वजिअं णाउं / एअंतिअ-अचंतिअ-सोक्खं मोक्खं च चाय-फलं // 12 // पडिवजिअ पव्वजं अणुओ प णुअ-राग-विदेसो। विहरइ तं पालितो विसालविजओ त्ति पत्तभिहो / / 12 / / [जुग्गं]. जेट्ठो उण सत्थाणं गाय-व्यायरणमाइ-विसयाणं / वढणज्झावाण-संसोहणाइ-कज्जेसु दिण्ण-मणो // 13 // लंकाइ सिंहलेसुं पाली-भासाइ सुगय-समयाणं। अब्भास-परिक्खासुं पारं पत्तोप्प-कालेणं // 14 // कलिकायाए णाए वायरणे चेव लद्ध-तित्थ-पओ। खायाइ परिक्खाए उत्तिण्णो उच्च-कक्खाए ॥१५।।तत्थेव विस्सविज्जालयम्मि सव्वुत्तमाइ सेणीए / पायय-सक्य-सत्थज्मावण-कज्जम्मि विणिउत्तो // 16 // तेण य पायय-भासाहिहाण गंथस्स विक्खमाणेणं / चिर-कालाउ अभावं आयर जोग्गस्स विवुहाणं // 17 // वाणारसोइ वरिसे सिअहय-य-अंक-राणरयण-मिए / विहिओ उवक्कमो विक्कमाओ एअस्स गंथस्स // 18 // कलिकायाए जाया पावय-वसु-अंक इंदु-परिगणिए। वरिसे भद्दय-मासे सिअ-सत्तमीए समत्ती ओ / / 1 / / तस्स सुभद्दादेवी-णामाइ सम्मिगीइ एत्थ बहुं। आयरिअं साहिज विज्जज्झयणाणुरत्ताए // 20 // आरंभ काऊणं आरिस-भासाउ आ अवब्भंसा / जो सद्दी जहिं अत्थे जत्थ गंथे उ उवलद्धो // 21 // वण्णाणमणुकमेणं सो सहो तम्मि अत्थए लिहिओ। तग्गन्थ-टाण-दसण पुव्वं णिउणं णिरूवेत्ता / / 22 / / पाईण-पाइआणं भासाण बहुत्त-भेअ-भिण्णाणं / सद्दण्णव-पारं जे गया तयट्रो ण एस समो / / 23 / / जे उण अण-पत्तदा सयं तयब्भासिणो य अ-सहाया। ताणं हत्थालंबण-दाणाएवस्स णिम्माणं // 24 // जइ थेवोवि हवेजा तेसिं गन्थेणणेण उवयारो। ता एत्तिअमेत्तेणं मण्णे आयास-साहल्लं // 25 // अण्णाणेण मईए भमेण वा एत्थ किंचि जमसुद्धं तं सोहिंतु पसायं काऊण सयासया स-यणा // 26 / / // समाप्ता / / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org