________________ हेच्च / देखो हा-हा। पाइअसहमहण्णवो हुणण-हेम हुणण न [हवन होम (सुपा 63) / हुव्वंत देखो धुव्वंत = धुव = धाव् (से 6, के फण की तरह किए हुए हाथ से निवारण हुणिअ देखो हुअ = हुत (सुपा 217 मोह (दे८,७२)। 107) / | हुस्स देखो हस्स = ह्रस्व (प्राचा; औप; हेउ पुं[हेतु] 1 कारण, निमित्त 'हेऊई' (राय हुत्त वि [दे] अभिमुख, संमुख (दे 8, 70; सम्मत्त 190) / 26, उवा, पएह २,२-पत्र 114 कप्प; हे 2, 1580 गउड; भवि)। हुहुअ पुंन [हुहुक] देखो हूहूअ (अणु 66; गउड जी 51 महा पि 358) / 2 अनुमानहुत्त देखो हूअ- हूत (हे 2, 66) / 176) / वाक्य, पंचावयव वाक्य (उत्त, ; सुख 6, हुत्त देखो हूअ = भूत (गा 245; 896) / हुहुअंग पुंन [हुहुकाङ्ग] देखो हूहूअंग 8) / 3 अनुमान का साधन (धर्मसं 77; ठा हुमआ देखो भुमआ (गा 505 पि 188) / (अणु 66 176) / 4, 4 टी-पत्र 283) / 4 प्रमाण (अणु)। हुर देखो फुर = स्फुर् / वकृ. 'कंतीए हुरंतीए' हुहुरु [हुहुरु] अनुकरण-शब्द-विशेष, "वाय पुं[वाद] 1 बारहवाँ जैन अंग-ग्रन्य आदि (कुप्र 420) / 'हुहुरु' ऐसा शब्द (हे 4, 423; कुमा)। दृष्टिवाद (ठा १०-पत्र 461) / 2 तर्कवाद, हुरड पुत्री [दे] तृण प्रादि से कुछ कुछ हअ देखो भूअ% भूत (हे 4, 640 कुमा; युक्तिवाद (सम्म 140 142) / पकाया हुआ चना आदि धान्य, होला-होरहा श्रा 14 16 महा; सार्ध 105) / हे उअ वि [हैतुक] 1 हेतुवाद को माननेवाला, (सुपा 386 473) / तर्कवादी 'जो हेउवायपक्खम्मिहेउयो प्रागमे | हूअ वि [हूत] अाहूत, प्राकारित (हे 2, हुरत्था प [दे] बाहर (प्राचा 1, 8, 2, य प्रागमियो' (सम्म 142; उवर 151) / ___66) / 1, 3, 2,1, 3, 2, कस। 2 हेतु का, हेतु से संबन्ध रखनेवाला / स्त्री. | हूअ देखो हुअ = हुतः ‘मन्ने पंचसरो पुरा हुरुडी स्त्री [दे] विपादिका, रोग विशेष (दे उई (विसे 522) / भगवया ईसेण हूप्रो सयं, कोहंधेण समासुगोवि 8, 71) / सधणुदंडोवि णित्तानले' (रंभा 25) / हुल सक [क्षिप्] फेंकना। हुलइ (हे 4, हेच्चाणं। 143; षड्)। हूण पुं [हूण 1 एक अनार्य देश / 2 वि. हेज देखो हर = हु। हुल सक [ मृज् ] मार्जन-करना, साफ करना। उसका निवासी मनुष्य (पएह 1, १-पत्र हेतु स्त्री [अधस ] नीचे, गुजराती में 'हे' हुलइ (हें 4, 105; षड् ) / 14; कुमा)। 'नग्गोहहेटुम्मि' (सुर 1, 205; पि 107) हूण देखो हीण = हीन (हे 1, 103; षड़)। हुलण वि [मार्जन] सफा करनेवाला (कुमा हे 2, 141; कुमा; गउड); 'हेटुनो' (महा)। हूम पुं[दे] लोहार (दे 8,71) / स्त्री. 'ट्ठा (प्रौपः महा; पि 107; 114) / हूसण देखो भूसण (गा 655; पि 188) / हुलण न [क्षेपण] फेंकना (कुमा)। मुह वि [मुख प्रवाङ मुख; जिसने मुंह हूहू पुं [हूहू] गन्धर्व देवों की जाति (धर्मवि हुलिअ वि [दे] 1 शीघ्र, वेग-युक्त; 'मइ | 48 सुपा 56) / नीचा किया हो वह (विपा 1, ६–पत्र 68 दे 1, 63; भवि)। वणि वि [ अवनी] पवणहुलिए' (दे 8, 56) / 2 न. शीघ्र, हूहूअ पुंन [हूहूक] संख्या-विशेष, 'हूहूअंग' महाराष्ट्र देश का निवासी, मरहट्टा-मरहठा जल्दी, तुरंत (पराह १,१-पत्र 14; स को चौरासी लाख से गुनने पर जो संख्या (पिंड 616) / 350; उप 728 टी)। लब्ध हो वह (ठा 2, ४-पत्र 86; अणु हेट्ठिम / वि [अधस्तन] नीचे का (सम हुलुभुलि स्त्री [दे] कपट, दम्भ (नाट-मृच्छ 247) / हेढिल्ल 167 ४१भगः हे 2, 163 सम 282) / हूहूअंग पुंन [हूहूकाङ्ग] संख्या-विशेष, 87 षड् प्रौप)। हुलुब्धी स्त्री [दे] प्रसव-परा, निकट भविष्य 'अवव' को चौरासी लाख से गुनने पर जो हेडा स्त्री [दे] 1 घटा, समूह (सुपा 386; में प्रसव करनेवाली स्त्री (दे 8,71) / संख्या लब्ध हो वह (ठा 2, ४-पत्र 86; 530) / 2 घूत आदि खेलने का स्थान, 'हुल्ल देखो फुल्ल = फुल्ल (भवि)। अणु 247) / अखाड़ा (धम्म 12 टी)। हुव देखो हुग = हु / हुवइ (प्राकृ 66) / हे महे] इन अर्थों का सूचक अव्यय -1 हुव देखो हव = भू / हुवंति (हे 4, 60 संबोधन / 2 अाह्वान। 3 असूया, ईर्ष्या (हे हेदिस / 1 (प्रशो) देखो एरिस (पि 121) / प्राप्र)। भूका. हुवीन (कुमा 5, 88) / 2, 217 टि; पि 71, 403; भवि) / हेपिअ वि [दे] उन्नत, ऊँचा (षड् ) / भवि. हुविस्सति (पि 521) / वकृ. हुवंत, | हेअ देखो हाहा / हेम न [हेम] 1 सुवर्ण, सोना (पान जं 4 हुवमाण, हुवेमाण (षड्) / संकृ. हुविअ हेअ देखो भेअ = भेद (गा 827) / औप; संक्षि 17) / 2 धत्तूरा। 3 मासे का (नाट-चैत 57) / हेअंगवीण न [हैयङ्गवीन] 1 नवनीत, परिमाण / 4 पुं. काला घोड़ा। 5 वि. हुव (अप) देखो हूअ% भूत (भवि)। मक्खन। 2 ताजा घी (नाट–साहित्य पंडित (संक्षि 7) / 6 पुं. एक विद्याधर हुव (अप) देखो हुअ = हुत (भवि): 236) / राजा (पउम 10, 21) / "चंद पुं[°चन्द्र] हुव्य 'देखो हुण = हु। हेआल पुं[दे] हस्त-विशेष से निषेधः साप / 1-2 विक्रम की बारहवीं शताब्दी के दो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org