SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1019
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हीर-हुण पाइअसद्दमहण्णवो 646 हीर देखो हर-हर (हे 1,51, कुमा; षड्) हुप्रखिल] इन अर्थों का द्योतक अव्यय- हुंकार पु[हुङ्कार] 1 अनुमति-प्रकाशक शब्द, हीर पुंहीर 1 विषम भंग, असमान छेद 1 निश्चय (हे 2, 198 से 1,15, कुमा; हाँ (विसे 565, से 10, 24; गा 356; (पएण १-पत्र 37) / 2 बारीक कुत्सित प्राकृ 78 प्रासू 54) / 2 ऊह, वितर्क | प्रात्मानु 6) / 2 हुँ' प्रावाज, 'हूं' ऐसा तृण, कन्द आदि में होती बारिक रेखा (जीव (हे 2, 198 कुमाः प्राकृ 78) / 3 संशय, शब्द (हे 4, 422; कप्पू: सुर 1, 246)3, 4; जी 12) / 3 ऍन. हीरा, मरिण- संदेह (हे 2, 198; कुमा)। 4 संभावना हुंकारिय न [हुङ्कारित ] 'हूं' ऐसी की विशेष (स 202, सिरि 1186; कप्पू)। (हे 2, 168 कुमाः प्राकृ 78) / 5 विस्मय, | हुई प्रावाज (स 377) / 42 - विशेष (पिग)। 5 दाढा का अन पाश्चर्य (हे 2, 198; कुमा)। 6 किन्तु, | हुंकुरव [दे] अंजलि, प्रणाम (दे 8, 71) / भाग (से 4, 14) / परन्तु (प्रासू 101) / 7 अपि, भीः 'ह हुंड न [हुण्ड] 1 शरीर की आकृति-विशेष, हीर पुन [दे] 1 सूई की तरह तीक्ष्ण मुंह अविसहत्थम्मि व त्ति' (धर्मसं 140 टी)। शरीर का बेढब अवयव (ठा ६-पत्र 357; वाला काष्ठ आदि पदार्थ (दे 8, 70; कस)। 8 वाक्य की शोभा (पंचा 7, 35) / 6 सम 44, 146) / 2 कर्म-विशेष. जिसके 2 भस्म (दे 8,70) / 3 प्रान्त, अन्त भाग पादपूत्ति, पाद-पूरण (पउम 8, 146 उदय से शरीर का अवयव असंपूर्ण बेढब(गउड)। कुमा)। प्रमाण-शून्य अव्यवस्थित हो वह कर्म (कम्म हीरंत देखो हर - हृ / हु / देखो हव = भू / हुअइ, हुएइ, हुंति, 1, 40) / 3 वि. बेढब अंगवाला (विपा हीरणा स्त्री [दे] लाज, शरम (दे 8, 67; हुअ हुइरे, हुअइरे, हुज्ज, हुएज, हुएइरे, 1. १-पत्र 5)- वसप्पिणी श्री हुएज्जइरे (पि 476; हे 4, 61; पि 458% षड्)। [वसर्पिणी] वर्तमानहीन समय (विचार हीरमाण देखो हर = हु। 466) / भवि. हुक्खामि, होक्खामि, हुक्खं (उत्त 2, 12; सुख 2, 12) / वकृ. हुंत हुंडी स्त्री [दे] घटा (पान) हील सक [हेलय 1 अवज्ञा करना, (हे 4, 61, सं 34) / हुंबउट्ट [दे] वानप्रस्थ तापस की एक तिरस्कार करना। 2 निन्दा करना। 3 कदर्थन करना, पीड़ना। होलइ (उवः सुख जाति (प्रौपा भग 11, ६-पत्र 515; | हुअ देखो हुण-हु। हुअइ (प्राकृ 66) / 2, 19), होलंति (दस 6, 1, 2, प्रासू वकृ. हुअंत (धात्वा 157) / हुँहुय अक [हुहु+कृ] 'हुँ' 'हुँ' प्रावाज 26) / वकृ. हीलंत (सट्ठि 86) / कवकृ. हुअ वि [हुत] 1 होमा हुअा, हवन किया करना / बकृ. हुहुयंत (चेइय 460) / हीलिज्जत, हीलिजमाण (उप पृ 133; हुआ (सुपा 263; स 55 प्राकृ 66) / 2 हुञ्च देखो पहुच्च %D प्र + भू / णाया 1, ८--पत्र 144; प्रासू 165) / न. होम, हवन (सूत्र 1, 7, 12, प्राकृ हुटू देखो हो? (प्राचाः पि 84 338) / 66), "वह पुं[वह] अग्नि, प्राग (गा कृ. हीलणिज (णाया 1, 3), हीलियव्य (पएह 2, १--पत्र 100; 2, ५--पत्र 211; पात्र; णाया 1, १-पत्र 63, हुड पुं[दे] 1 मेष, मेढ़ा (दे 8, 70) / 2 150) गउड), सि पु [श] अग्नि (गउड श्वान, कुत्ता (मृच्छ 253) / हीलण स्त्रीन [हेलन] 1 अवज्ञा, तिरस्कार / अझ 150; भविः हि 13) सन पुं हुडुअ पुं[दे] प्रवाह (दे 8,70) / 2 निन्दा (सुपा 104) / स्त्री. णी (पएह 2, [शन] वही अर्थ (भगः से ५,५७पान) हुड़क्क पुंस्त्री [दे. हुडुक्क] वाद्य-विशेष (प्रौप; १-पत्र 100%; प्रौप; उवः दस, 1, 7 | हुअ देखो हूअ-भूत (प्रातः कुमाः भविः कप्पू: सण; विक्र 87) / स्त्री. का (रायः सट्ठि 100) / सरण) सुपा 50; 175; 242) / हीला स्त्री [हेला] ऊपर देखो (उवः उप पू हुअंग देखो भुअंग; "चंदनलट्ठिव्व हुअंगदूमिया हुड' हुडम पृ [दे] पताका, ध्वजा (दे 8, 700 पान)। 216; उप 142 टी)। किं णु दूमेसि' (गा 626) / हुड्ड पुंस्त्री [दे] होड़, बाजी, पण, शत, दांव / हीलिअ बि [हीलित] 1 निन्दित / 2 / हुअग देखो भुअग (गा 809; पि 188) M स्त्री. ड्डा (दे 8, 70; सुपा 276; पव अपमानित, तिरस्कृत (सुख 2, 17 अोघ हप[ हुम् ] इन प्रों का सूचक अव्यय- 38); 'हुड्डाहु९ सुयंतेहि' (सम्मत्त 143) / 526; कस; दस 6, 1, 3) / 3 पीड़ित, 1 दान / 2 पृच्छा, प्रश्न (हे 2, 167 देखो होड्ड / कश्रित (प्राचा 2, 16, 3) / प्राप्र, कुमा)। 3 निवारण (हे 2, 197; हुण सक [हु] होम करना। हुण्इ (हे 4, हीसमण न [दे. हेषित] हेषारव, अश्व- कुमा)। 4 निर्धारण (प्राप्र रंभा)। 5 241; भग 11, ६-पत्र 516; कुमा)। घोड़े का शब्द (दे 8, 68 हे 4, 258) / स्वीकार (श्रा 12; कुप्र 345) / 6 हुङ्कार, कर्म. हुव्वइ, हुणिज्जइ, हुणिज्जए (हे 4, हीही / (शौ) अ. विदूषक का हर्ष-सूचक हुँ' शब्द; 'हुँ करंति घुसव' (सुपा 462) / 242, कुमा)। कवक हुणिजमाग (सुपा हीहीभोमव्यय (हे 4, 285; कुमा; प्राक 7 अनादर (सिरि 153) / 67) / संकृ. हुणिऊण, हुणेऊग, हुणित्ता 17 मोह 41) / हुंकय पुं[] अंजलि, प्रणाम (दे 8,71) (षड् ; भग 11, ६-पत्र 516). Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy