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________________ २१२० शब्दरत्नमहोदधिः। [सुनन्दा-सुन्द सुनन्दा स्त्री. (सुष्ठु नन्दयति या, सु+नन्द्+अच्+टाप्) । सुनिग्रह त्रि. (सुष्ठु निग्रहो यस्य) ठेने साथी. व.श ગોરોચના, ઉમા-પાર્વતીની સખી, અજની પત્ની કરી શકાય છે, જેનો નિગ્રહ સારી રીતે થઈ શકે છે. इन्दुमतीनी. समी- द्वारपासt. -प्राक् सन्निकर्षं । सुनिद्र त्रि. (सुष्ठु निद्रा यस्य) सा. निद्रावा, घसघस.ट मगधेश्वरस्य नीत्वा कुमारीमवदत् सुनन्दा-रघु०६।२०। चतुं. હરકોઈ સ્ત્રી, અર્કપત્રી વૃક્ષ. सुनिद्रा स्त्री. (सुष्ठु निद्रा) घसघसा-सारी.ध.. सुनय पुं. (सु+नी+अच) सारी नीति, उत्तम. न. सनिभतम अव्य. (सष्ठ निभृतम) अत्यन्त सप्त. सुनयन पुं. (सुष्ठु नयने यस्य) मृग, ४२१५. (त्रि. सुष्ठु અત્યન્ત એકાન્ત, ઘણું જ છાનું, અતિશય પૂર્ણ, नयने यस्य) सा२. नेत्रवाणु, ugl °४ सुं६२ viluj. ખીચોખીચ ભરવાપૂર્વક. -ददृशुरध्वनि तं वनदेवताः सुनयनं नयनन्दितकोशलम्- सुनिरूपित त्रि. (सुष्ठु निरूपितम्) २२. ३त. येसरघु० ९१५२। तपासेल. सुनयना स्री. (सुष्ठु नयने यस्याः) सुं६२ नेत्रवाणी सुनिश्चय पुं. (सुष्ठु निश्चयः) २. निश्य. (त्रि. सुष्ठु स्त्री. निश्चयो यस्य) सारा निश्चयवाणु. सुनयनी स्त्री. (सुनयन+स्त्रियां जाति. ङीष्) भृक्षी, सुनिश्चित त्रि. (सुष्ठु निश्चितः) सारी रात निश्चय २५.. सुनाकृत पुं. (सुष्ठु न अकृतः नजो नलोपाभावः) सुनिषण्ण, सुनिषण्णक पुं. (सुष्ठु निषण्णो यस्य। ५२. सुनिषण्ण+संज्ञा. कन्) में तनु स. सुनाभ पुं. (सुष्ठु नाभिर्यस्य अच् समा.) भै न.पर्वत. सुनिष्टप्त त्रि. (सु+निस्+तप्+क्त) सारी रात तपास, -इन्द्रकोल: सुनाभश्च तथा दिव्यौ च पर्वतो ઘણું જ તપાવેલ. महा० ३।१०।३०। धृतराष्ट्रन पुत्रनु नाम- उर्णनाभः सुनीत त्रि. (सु+नी+कर्मणि क्त) सारी ते १६ सनाभश्च तथानन्दोपनन्दको-महा०१।११७।५ । सहशन જવાયેલ, સારી રીતે આણેલ, સારી નીતિવાળું. 4 -सुतं मृधे खं वपुषा ग्रसन्तं दृष्ट्वा सुनाभोन्मथितं सुनीति स्त्री. (सुष्ठु नीतिः) सारी nि, CAP५६ धरित्र्या-भाग० २।३।६।। सुनामद्वादशी स्त्री. (सुनामाख्या द्वादशी) ते नामर्नु २% नी पत्नी-ध्रुवनी माता- जाये उत्तानपादस्य सुनीतिः सुरुचिस्तयोः । सुरुचिः प्रेयसी पत्युर्नेतरा में प्रत. यत्सुतो ध्रुवः-भाग० ४।८1८ (त्रि. सुष्ठु नीतिर्यस्य) सुनामन् त्रि. (सुष्ठु नाम यस्य) सुं६२ नामवाj. सारी नीतिवाणु, न्यायी. सुनार पुं. (सुष्ठु नालं यस्य) सपनु, दूर्नु सुनीथ त्रि. (सय+नी+थक्) धर्मशाला, धन ४२वाना धाव.ए., Asel. ५क्षी.. सुनारी स्त्री. (सुष्ठु नारी यद्वा सुनार+स्त्रियां जाति. स्व. माणु (पुं.) पाए, शिशुपासनू नाम. सुनील, सुनीलक न. (सुष्ठु नीलम्/सुनील+संज्ञायां डीप्) यदी, सारी स्त्री. कन्) नाम भलि., वृक्ष. सुनालक पुं. (सुष्ठु नालं यस्य कप्) म. (पुं. सुष्ठु नील:) सुं६२ ___ello (त्रि. सुष्ठु नील: अच्) सुं६२. दीवाj. सुनालक त्रि. (सुष्ठु नालेन कायति, कै+क) सुं६२ નાળવાળું, સારાં નાળચાંવાળું. सुनीलक पुं. (सुनील इव कायति, कै+क) जो सुनाशीर, सुनासीर पुं. (सुष्ठु नाशीरो-नासीरो यस्य) ભાંગરો વનસ્પતિ. छन्द्र- ततो मीड्पांसमामन्त्रय सुनासीराः सहर्षिभिः सुनीला स्त्री. (सुनील+स्त्रियां टाप्) सणसी, अ५२ता भाग० ४७७। वनस्पति, ४२ती. वृक्ष. सुनाशीर्य, सुनासीर्य पुं. (सुनाशी(सी)रो देवताऽस्य, सुन्द् (सौत्र. धा. प. अ. सेट-सुन्दति) शाम, यत्) मे तनो य.. શોભાયમાન થવું. सुनासिक त्रि. (सुष्ठु नासिका यस्य) सुं४२ नवाणु. सुन्द पुं. (सुन्द्+अच्) त नामे में हैत्य, ते ना. . सनासिका स्त्री. (सुष्ठु नासिका) 31.स. वनस्पति, वानर, त नाम म. २क्षस., ४ नमना पुत्र हता, सारना. જેને સુંદ અને ઉપસુંદ નામે પુત્રો હતા. Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016069
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages562
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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