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________________ ३०० शब्दरत्नमहोदधिः। [आभिहारिक-आमगन्धि आभिहारिक त्रि. (अभिमुख्येन हारः अभिहारः | आभोगि त्रि. (आभोगं करोति आभोग+णिच् इन्) प्रयोजनमस्य तत्र साधुर्वा ठञ्) भेट, भेटम भूजवा विषयभोग 5२ना२. योग्य ६ द्रव्य. (न.) मे2, 6५४२. आभोगिन् त्रि. (आभोगोऽस्त्यस्य इनि) परि५. आभीक न. (अभीकेन दृष्टं साम अण्) ममी आभोगिनी स्त्री. (आभोगोऽस्त्यस्य स्त्रियां डीप्) मानसि. ઋષિએ જોયેલો સામવેદનો એક ભાગ. નિર્ણય કરનાર વિદ્યાવિશેષ. आभीक्ष्ण्य न. (अभीक्ष्णस्य भावः ष्यञ्) वारंवा२५, भ्यन्तर त्रि. (अभ्यन्तरे भवः अण्) २६२र्नु, वय्येनु, સતતપણું. भांडे. आभीर पु. (समन्तात् भियं राति रा+क) १. वाण, आभ्यवहारिक त्रि. (अभ्यवहाराय हितं ठक्) मोशन म.413, सायनी. d. - आभीरवामनय- યોગ્ય અન્ન વગેરે, ખાવા લાયક. नाहृतमानसाय दत्तं मनो यदुपते ! तदिदं गृहाण- आभ्यागारिक त्रि. (अभ्यागारे तत्रस्थकुटुम्बाभरणे व्यापृतः उद्भटः , २. ते नामनी मे. हेश, 3. ते दृशम ठक्) मुटुमन पोषाए॥ ४२वा दाय, कुटुंबना २३नार, त. शिनो २०%.. ભરણપોષણમાં મશગૂલ. आभीर न. ते. नामनो में. भात्रावृत्त छन्६. आभ्यादायिक न. (आभिमुख्येन आदानं तत्र नियुक्तः आभीरपल्लि स्त्री. (आभीरप्रधाना पल्लि:) i मात्र ठक्) पिता-मामाना था. भावेद में स्त्रीधन. ભરવાડ-ગોવાળિયા રહેતા હોય તેવું નાનું ગામ. आभ्यासिक त्रि. (अभ्यासे निकटे भवः ठक) पासे आभीरपल्लिका स्त्री. (आभीरप्रधाना पल्लि:) 6५२न. यना२, ५ोशी, संबन. अर्थ मो. आभ्यासिक त्रि. (अभ्यासात् पौनःपुन्यात् आगतः ठक्) आभीरपल्ली स्त्री. (आभीरप्रधाना पल्लीः) आभीरपल्लि અભ્યાસથી પ્રાપ્ત થયેલ દઢ સંસ્કાર વગેરે, અભ્યાસ શબ્દ જુઓ. ४२नारी, पुनरावतन ४२नारी. आभीरी स्त्री. (आभीरस्य पत्नी आभीर+ङीप्) oilamel, आभ्युदयिक न. (अभ्युदयः प्रयोजनमस्य ठक्) ભરવાડણ, આહીરણ, ગોવાળિયાની સ્ત્રી. १. समृद्धि -आभ्युदयिकं श्रमणकदर्शनम् आभील न. (आ-समन्तात् भयं लाति-ददाति ला+क) ___-मृच्छ०८, उन्नत, महत्वपू, गौरवणी , १. ४ष्ट, हु, घ, २. भयान.. ૨. વૃદ્ધિનિમિત્તક એક જાતનું શ્રાદ્ધ. आभील त्रि. (आ-समन्तात् भयं लाति-ददाति ला+क) आधिक त्रि. (आभ्रया-काष्ठकुद्दालेन खनति ठक्) अवाणु, दु:सवाणु, भयमात. લાકડાની કોદાળીથી ખોદનાર. आभीशव न. (अभीशुना दृष्टं साम अण्) ते. नामनी | आभ्रय त्रि. (अभ्रे आकाशे भवः ण्यत्) माशमा थना२. સામવેદનો એક ભાગ. आम् अव्य (अम्+णिच्+क्विप्) १. 200.51२vi, आभु त्रि. (समन्तात् भवति आ+भू+डु) विभु, व्या५.४. २. स्वी.७८२i, 'ओह-हाँ-आं कुर्मकाः-मालवि० १, . आभुग्न त्रि. (आ+भुज् कर्मकर्तरि क्त तस्य नः) 3. निश्यमां- 'आं-ज्ञातम्' श० ३, ४. निमi, संजयायेद, iईवणेस, थोडं वig. ५. स्म२५मां- 'आं-चिरस्य खलु प्रतिबुद्धोऽस्मि', आभूति स्री. (आ+भू+क्तिन्) व्याप्ति. 9. तथा प्रतिवयनमा ५२राय छे. आभेरी स्त्री. तनामनी में रागिए. आम पु. (आम्यते ईषत् पच्यते आ+अप्+कर्मणि आभोग पु. (आ+भुज्+आधारे घञ्) परिपूता , घब्) १. २ ५७५, २. आयुं, 3. मसिद्ध, विस्तार, -(गगनाभोगभास्वते-सकलाऽर्हत्) भोगवj, । ४. ५।२रित, ५. रोग, एन आरो. भोगवटो, परिस.२- अकथितोऽपि ज्ञायत एव | आम त्रि. (आम्यते ईषत् पच्यते आ+अप्+कर्मणि यथाऽयमाभोगस्तपोवनस्येति-श०, यल्ल, सारी रात । घञ्) १. आयु, २. अ५.व.. सुम वगैरेनी. अनुभव, वसुनु, छत्र, सायनी विस्तृत | आमकुम्भ पु. (आमः कुम्भः) यो. घ2. ३९u, G५मा- विषयाभोगेषु नैवादरः-शान्ति० आमगन्धि त्रि. (आमस्यापक्वस्य गन्ध इव गन्धो यत्र आभोगय त्रि. (आभोगं याति या+क) परिपू[... इन्) या मांस. वगेरे ५वा ठेवी गंधवाणु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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