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________________ आमज्वर-आमानस्य शब्दरत्नमहोदधिः। ३०१ आमज्वर पु. (आमो अपक्वो ज्वरः) २५.४d. dua, | आमरस पु. (आमश्चासौ रसश्च) माशयमi नवो ताप, यो त -स्वेद्यनामज्वरं प्राज्ञः कोऽम्भसा | गाभाथी. यतुं स-. परिषिञ्चति -शिशु० २।५४, अपयो.. आमरणान्तिक त्रि. (आमरणान्तं व्याप्नोति ठञ्) आमञ्जु त्रि. (ईषद्म ) प्रिय, मनोहर. મરણ કાળ પર્યન્ત વ્યાપ્ત-મરણ સુધી રહેનાર आमण्ड पु. (आ+मण्ड्+अच्) अनु. जाउ. -आमरणान्ताः प्रणयाः कोपास्तत्क्षणभङ्गुरा-हितो० आमत्वच त्रि. (आमं त्वक् यस्य) होमण याम.lauul. १११८ आमनस्य न. (अप्रशस्तं मनो यस्य तस्य भावः ष्यञ्) | आमई पु. (आ+मृद् घ) दारे भईन. ७२.. दुः५, शोs, पी. જોરથી મર્દન કરવું તે, દબાવવું, કચડવું, મસળવું. आमन्त्र पु. (आ+मन्त्र+अच्) आमन्त्रण २०६ मी. आमईन न. (आ+मृद्+ल्युट) 64यो. २०६ शुभ.. आमन्त्र पु. (आमादजीर्णात्त्रायते त्रै+क) मेनुं 3. आमर्दिन् त्रि. (आ+मृद्+णिनि) मारे भईन. ४२८२, आमन्त्रण न. (आ+मन्त्र+ल्युट) १. ममिनहन, જોરથી મર્દન કરનાર, દબાવનાર. २. संबोधन, पोदावg, ते3j, 3. विहाय सेवा, आमर्श पु. (आ+मृश्+स्पर्श घञ्) सरी शत. २५ विहाय थj, निमंत्र- अन्योऽन्यामन्त्रणं यत् २वो ते. स्याज्जनान्ते तज्जनान्तिकम् -सा० द० ६ आमर्शन न. (आ+मृश्+ स्पर्शे ल्युट) सा. शत. स्पशी आमन्त्रय त्रि. (आ+मन्त्र+कर्मणि यत) सामंत्रए। २वो त, परोप२स्पर्श ४२वी.. કરવાયોગ્ય, તેડવા યોગ્ય, યોજવા યોગ્ય. आमशूल पु. (आमश्वासौ शूलश्च) [थी. थती आमन्त्रित त्रि. (आ+मन्त्र+क्त) सनावश्य भा. पी.31, गुहाना हुvut.. योठेस, निमंत्रस, नीत३८, पोवस.. आमर्ष पु. (न+मृष्+घञ् दीर्घः) १. आध, ५, आमन्त्रित न. व्या४२७॥२॥स्त्रमा संबोधनाथ प्रथम २. नडि साउन ४२ ते, (आ+मृष्+घञ्) 3. सारी વિભક્તિ. રીતે વિચાર કરવો. आमन्त्र्य अव्य. (आ+मन्त्र+ल्यप्) आमंत्र॥ शन, आमलक पु. (आ+मल्+क्वुन्) सामान, आर. संबोधीन, मोबावीन, तीन.. आमलक न. (आमलक्याः फलं अण्) in. आमन्द पु. (आमं रोगं द्यति दो+ड) वासुदेव.. -बदरामलकाम्रदाडिमानाम् ।। आमन्दा स्त्री. (आमन्दं करोति आमन्द णिच्+अच्) आमलकी स्त्री. (आ+मल् क्वुन्-ङीप्) Hinulk 3. એક પ્રકારનો ખાટલો. आमवात पु. (आमो अपक्वहेतुः वातः) मे तनो आमन्द्र पुं. (ईषन्मन्द्रः) थो32 bil२ अवो श६ वायुनो रोग -आमवातगजेन्द्रस्य शरीरवनचारिणः । आमन्द्र त्रि. (ईषन्मन्द्रः) थोर मी२ शवाणु.. ___ एक एव निहन्ताऽयमेरण्डस्नेहकेशरी ।। आमपाक पु. (आमस्य अजीर्णविशेषस्य पाकः) आमश्राद्ध न. (आमेन अपक्वान्नेन श्राद्धः) या વૈદ્યકશાસ્ત્ર પ્રસિદ્ધ સોજાના રોગ વગેરેના અંગરૂપ અનાજથી કરવાનું એક પ્રકારનું શ્રાદ્ધ. અપક્વને પકાવવું તે. आमहीय त्रि. (आमहाय-आगमनाय हितम् छ) भाववsei आमपात्र न. (आमं पात्रम्) आयुं भाटीन, वास. સાધનરૂપ કોઈ મંત્ર. -विनाशं व्रजति क्षिप्रमामपात्रमिवाम्भसि -मनु० ३।१७९ / आमहीयव न. (अमहीयुना ऋषिभेदेन दृष्टं साम अण्) आमय पु. (आमं रोगं यात्यनेन या+करणे घबर्थे क) તે નામનો સામવેદનો એક ભાગ. श, लिमारी -आमयस्तु रतिरागसम्भवः -रघु० आमातिसार पु. (आमकृतोऽतिसारः) सम-अ५.७व. १९।४८ રસ વડે થયેલો અતિસાર, અજીર્ણથી થયેલ ઝાડાનો आमयाविन् त्रि. (आमयोऽस्त्यस्य विनि दीर्घश्च) २२०0, એક રોગ. બિમાર, મંદાગ્નિથી પીડિત. आमात्य पु. (अमात्य एव स्वार्थे अण्) 4.७२, सीवान.. आमरक्त न. (आमपक्वं रक्तम) २तिसार, सोहीनो आमानस्य न. (अप्रशस्तं मानसमस्य अमानसः तस्य उ. ___ भावः ष्यञ्) हुम, शोs, पी.30. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016067
Book TitleShabdaratnamahodadhi Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktivijay, Ambalal P Shah
PublisherVijaynitisurishwarji Jain Pustakalaya Trust Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages864
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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