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________________ २२४ आराधना कथाकोश चले तो नदी अथाह बह रही थी। उसे पार करनेका कोई उपाय न था। बड़ी कठिन समस्या उपस्थित हुई। उन्होंने होना-करना सब भाग्यके भरोसे पर छोड़कर नदीमें पाँव दिया । पुण्यकी कैसी महिमा जो यमुनाका अथाह जल घुटनों प्रमाण हो गया। पार होकर ये एक देवोके मन्दिरमें गये । इतने में इन्हें किसीके आनेकी आहट सुनाई दो। ये देवीके पीछे छुप गये। ___ इसीसे संबन्ध रखनेवाली एक और घटनाका हाल सुनिये। एक नन्द नामका गुवाल यहीं पासके गाँव में रहता है। उसकी स्त्रोका नाम यशोदा है। यशोदाके प्रसूति होनेवाली थी, सो वह पुत्रकी इच्छासे देवीकी पूजा वगैरह कर गई थो । आज ही रातको उसके प्रसूति हुई। पुत्र न होकर पुत्री हई। उसे बड़ा दुःख हआ कि मैंने पूत्रकी इच्छासे देवीकी इतनो तो आराधना-पूजा को और फिर भी लड़की हुई। मुझे देवीके इस प्रसादकी जरूरत नहीं । यह विचार कर वह उठी और गुस्सामें आकर उस लड़कीको लिए देवोके मन्दिर पहुंची। लड़कोको देवीके सामने रखकर वह बोलो-देवीजी, लीजिए आपकी पुत्रीको ? मुझे इसकी जरूरत नहीं है । यह कहकर यशोदा मन्दिरसे चली गई। वसुदेवने इस मौकेको बहुत ही अच्छा समझ पुत्रको देवोके सामने रख दिया और लड़कीको आप उठाकर चल दिये । जाते हुए वे यशोदासे कहते गये कि अरी, जिसे तू देवताके पास रख आई है वह लड़की नहीं है। किन्तु एक बहुत हो सुन्दर लड़का है। जा उसे जल्दी ले आ; नहीं तो और कोई उठा ले जायगा । यशोदा. को पहले तो आश्चर्य-सा हुआ । पर फिर वह अपने पर देवीकी कृपा समझ झटपट दौड़ी गई और जाकर देखती है तो सचमुच ही वह एक सुन्दर बालक है । यशोदाके आनन्दका अब कुछ ठिकाना न रहा। वह पुत्रको गोदमें लिए उसे चूमतो हुई घर पर आ गई। सच है, पुण्यका कितना वैभव है इसका कुछ पार नहीं। जिसको स्वप्नमें भी आशा न हो वही पुण्यसे सहज मिल जाता है । ___इधर वसुदेव और बलभद्रने घर पहुँचकर उस लड़कीको देवकीको सौंप दिया। सबेरा होते ही जब लड़कीके होनेका हाल कंसको मालम हुआ तो उस पापोने आकर बेचारी उस लड़कीकी नाक काट ली। ____ यशोदाके यहां वह पुत्र सुखसे रहकर दिनों-दिन बढ़ने लगा। जैसेजैसे वह उधर बढ़ता है कंसके यहाँ वैसे ही अनेक प्रकारके अपशकुन होने लगे। कभी आकाशसे तारा टूटकर पड़ता, कभी बिजली गिरती, कभी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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