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________________ यम मुनिको कथा ११९ अपनी यह हालत देखकर राजाका होश ठिकाने आया। वे एक साथ ही दाँत रहित हाथोकी तरह गर्व रहित हो गये । उन्होंने अपने कृत कर्मोंका बहुत पश्चात्ताप किया और मुनिराजको भक्तिपूर्वक नमस्कार कर उनसे धर्मोपदेश सुना, जो कि जीव मात्रको सुखका देनेवाला है । धर्मोपदेशसे उन्हें बहुत शान्ति मिली । उसका असर भी उनपर बहुत पड़ा । वे संसारसे विरक्त हो गये । वे उसी समय अपने गर्दभनामके पुत्रको राज्य सौंपकर अपने अन्य पाँचसौ पुत्रोंके साथ, जो कि बालपन हीसे वैरागी रहा करते थे, मुनि हो गये। मुनि हुए बाद उन सबने खूब शास्त्रोंका अभ्यास किया । आश्चर्य है कि वे पाँच सौ हो भाई तो खूब विद्वान् हो गये, पर राजाको ( यम मुनिको ) पंचनमस्कार मंत्र का उच्चारण करना तक भी नहीं आया । अपनी यह दशा देखकर यम मुनि बड़े शर्मिन्दा और दुःखी हुए । उन्होंने वहाँ रहना उचित न समझ अपने गुरुसे तीर्थयात्रा करनेकी आज्ञा ली और अकेले ही वहाँसे वे निकल पड़े । यम मुनि अकेले ही यात्रा करते हुए एक दिन स्वच्छन्द होकर रास्तेमें जा रहे थे । जाते हुए उन्होंने एक रथ देखा । रथ में गधे जुते हुए थे और उसपर एक आदमी बैठा हुआ था । गधे उसे एक हरे धानके खेत की ओर लिये जा रहे थे । रास्तेमें मुनिको जाते हुए देखकर रथपर बैठे हुए मनुष्यने उन्हें पकड़ लिया और लगा वह उन्हें कष्ट पहुँचाने । मुनिने कुछ ज्ञानका क्षयोपशम हो जानेसे एक खण्ड गाथा बनाकर पढ़ी | वह गाथा यह थी 1 कट्टसि पुणणिक्खेवसि रे गद्दहा जवं पेच्छसि । - खादिदुमिति अर्थात् - रे गधो, कष्ट उठाओगे, तो तुम जब भी खा सकोगे । इसी तरह एक दिन कुछ बालक खेल रहे थे । वहीं कोणिका भी न जाने किसी तरह पहुँच गई । उसे देखकर सब बालक डरे । उस समय कोणिकाको देखकर यम मुनिने एक और खण्ड गाथा बनाकर आत्माके प्रति कहा । वह गाथा यह थी -- · अण्णत्थ किं पलोवह तुम्हे पत्थणिबुद्धि । या छिद्दे अच्छई कोणिआ इति । अर्थात् -- दूसरी ओर क्या देखते हो ? तुम्हारी पत्थर सरीखी कठोर बुद्धिको छेदनेवाली कोणिका तो है । एक दिन यम मुनिने एक मेंढकको एक कमल पत्रको आड़में छुपे हुए सर्पकी ओर आते हुए देखा । देखकर वे मेंढकसे बोले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016063
Book TitleAradhana Katha kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2005
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size21 MB
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