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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित -आवाप शब्द | २७ हिन्दी टीका-आवाप शब्द पुल्लिग है और उसके ग्यारह अर्थ होते हैं - १. वलय (गोलाकार, बल या चूड़ी वगैरह) २. पात्र, ३. परिक्षेप (परिवेष्टन बाँट वगैरह) ४. आलबाल (कियारी) ५. निम्नोन्नतावनि (ऊँची नीची भूमि, उबड़ खाबड़ जमीन) ६. भाण्डपचन (पकाने का भाण्ड विशेष) और ७. शत्रुचिन्तन (शत्रु के रहस्य की जानकारी प्राप्त करना) एवं ८. संयोजन (जोड़ना) ६. पानभेद (पान विशेष) १०. वीजवाप (बीज बोना, बीज वपन) और ११. उग्रयज्ञ (विशिष्ट याग-रुद्रयाग वगैरह)। आविर्भाव शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके दो अर्थ होते हैं- १. प्रकाश (उजियाला या प्रकट होना) २. देवावतरण (देवों का अवतार लेना)। मूल : आविर्भू तो जन्मयुक्त ऽवतीर्णे च प्रकाशते । आविर्भावविशिष्टे च त्रिलिंगोऽयमधिष्ठते ॥ १३६ ॥ आवेशो भूतसंचारेऽहंकाराभिनिवेशयोः । अपस्मारे तथाऽऽसक्तौ संरम्भेऽपि पुमान् स्मृतः ॥ १४० ॥ हिन्दी टीका-आविर्भूत शब्द त्रिलिंग माना जाता है और उसके पाँच अर्थ होते हैं-१. जन्म युक्त (जन्म लेने वाला जन्मा हुआ) २. अवतीर्ण (अवतार लेकर आया हुआ) ३ प्रकाशित (प्रकटित प्रकटीभूत) ४. आविर्भावविशिष्ट (आविर्भाव प्रकट से युक्त) और ५. अधिष्ठित (अधिष्ठान-युक्त)। आवेश शब्द भी पुल्लिग ही माना जाता है और उसके छह अर्थ होते हैं-१. भूतसंचार (भूतों का प्रवेश) २. अहंकार (घमण्ड) 3. अभिनिवेश (दुराग्रह) ४. अपस्मार (मृगी रोग हिस्टीरिया) ५. आसक्ति (फंसावट) और ६. संरम्भ (क्रोध. गुस्सा वगैरह)। आवेशनं शिल्पिगृहे भूतावेश - प्रवेशयोः । __ अमर्षे परिवेशे चाऽप्याशादिक् दीर्घतृष्णयोः ॥ १४१ ।। हिन्दी टीका-आवेशन शब्द नपुंसक है और उसके सात अर्थ होते हैं-१. शिल्पिग्रह (कारीगरी का घर) २. भूतावेश (भूतों का शरीर में प्रवेश) ३. प्रवेश (प्रवेश करना) ४. अमर्य (सहन नहीं होना, बर्दाश्त नहीं कर सकना) ५. परिवेश (पोशाक वगैरह) ६. आशाविक (आशा लगाये रहना) और ७. दीर्घतष्णा (विशाल तृष्णा वगैरह) । इस प्रकार आवेशन शब्द के सात अर्थ समझना चाहिए। मूल : आशयः पनसे ऽजीर्णे ऽदृष्टेऽभिप्रायचेतसोः । कोष्ठागारे किम्पचाने विभवाधारयोरपि ॥ १४२ ॥ आश्रमो ब्रह्मचर्यादिचतुष्के कानने मठे । आश्रयो व्यपदेशे च सामीप्याधारयोरपि ॥ १४३ ॥ हिन्दी टोका-आशय शब्द पुल्लिग है और उसके नौ अर्थ होते हैं-१. पनस (कटहल) २. अजीर्ण (अनपच, नहीं पचा हुआ) ३. अदृष्ट (भाग्य) ४. अभिप्राय, ५. चेतस् (चित्त) ६. कोष्ठागार (भण्डार) ७. किंपचान (कृपण-कङ्ग्स) ८. विभव (सम्पत्ति) और ६. आधार (अधिकरण)। इस प्रकार आशय शब्द के नौ अर्थ जानना । आश्रम शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं -१. ब्रह्मचर्यादि चतुष्क, (ब्रह्मचर्य-गार्हस्थ्यवानप्रस्थ और संन्यास) २. कानन (वन-जंगल) और ३. मठ (मन्दिर)। इस तरह आश्रम शब्द के तीन अर्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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