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________________ नानार्थोदयसागर कोष: हिन्दी टीका सहित - परिकर्मन शब्द | २१३ हिन्दी टीका - नपुंसक परिकर्मन शब्द का अर्थ - १. अंगसंस्कार (शरीर का संस्कार ) होता है और पुल्लिंग परिकर्मन शब्द का अर्थ - २. सेवक (परिचारक) होता है । त्रिलिंग परिगत शब्द के चार अर्थ माने जाते हैं - १. विस्मृत ( भूल जाना) २. वेष्टित ( लपेटा हुआ ) ३. ज्ञात (विदित) और ४. प्राप्त । परिग्रह पुल्लिंग है और उसके सात अर्थ माने जाते हैं - १. परिजन (परिवार कुटुम्ब ) २. राहुवक्त्रस्थभास्कर (राहुग्रस्त सूर्य) और ३. स्वीकार तथा ४ शपथ (सौगन्ध ) ५. कन्द (मूल) और ६. सैन्यपृष्ठ, तथा ७. स्त्री (महिला) । मूल : परिघो मुद्गरे शूले गोपुरे कलशेऽर्गले । लोह सम्बद्धलगुडे योगे काचघटे गृहे ॥। ११६७॥ परिघोषस्तु शब्दे स्यात् अवाच्ये मेघगर्जिते । संस्तवे स्यात् परिचयः समन्ताच्चयने स्मृतः ||११६८॥ हिन्दी टीका - परिघ शब्द पुल्लिंग है और उसके नौ अर्थ माने गये हैं- १. मुद्गर ( गदा विशेष ) २. शूल (त्रिशूल ) ३. गोपुर (पुरद्वार) ४. कलश ( घड़ा ) ५. अर्गल (अर्गला ) ६. लोहसम्बद्धलगुड (लोहे से जड़ा हुआ लगुड - यष्टि ) ७. योग तथा ८ काच घट (काच का घड़ा) और ६. गृह (घर) । परिघोष शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं - १. शब्द, २. अवाच्य (अवक्तव्य ) और ३ मेघगर्जित । परिचय शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. संस्तव (ओलखान) और २. समन्तात् चयन (चारों तरफ से चयन- एकत्रित करना) । मूल : परिच्छिन्नोऽवधिप्राप्ते परिच्छेदयुते त्रिषु । परिच्छेदोsar ग्रन्थविच्छेदे कृति निश्चये ॥ ११६ ॥ परिवारे परिजन : समीप स्थितसेवके । तिर्यग् दन्त प्रहारेभे पक्वे परिणतं त्रिषु ॥ १२००॥ हिन्दी टीका - परिच्छिन्न शब्द त्रिलिंग है और उसके दो अर्थ माने गये हैं - १. अवधिप्राप्त (पूर्ण अवधि) और २. परिच्छेदयुत (सीमित) । परिच्छेद शब्द पुल्लिंग है और उसके तीन अर्थ होते हैं१. अवधि, २. ग्रन्थविच्छेद (ग्रन्थ का विभाग) और ३. कृति निश्चय (कार्य निर्णय ) । परिजन शब्द के दो अर्थ होते हैं - १. परिवार (कुटुम्ब ) और २. समीप स्थित सेवक (निकटवर्ती नौकर ) । परिणत शब्द त्रिलिंग है और उसका अर्थ - १. पक्व (परिपक्व ) होता है । किन्तु २ तिर्यग्दन्त प्रहार इभ ( मिट्टी के भिण्डा वगैरह में टेढ़ा दन्त प्रहार करने वाला हाथी ) अर्थ में परिणत शब्द पुल्लिंग ही माना जाता है । इस तरह परिणत शब्द के दो अर्थ जानना । मूल : Jain Education International परिणामस्तु चरमे विकारेपि मतः पुमान् । परितापो भये कम्पे नरकान्तर- दुःखयोः ॥ १२०१॥ परित्राणन्तु रक्षणे | अत्युष्णतायां शोके च परिधायः परिच्छेदे जनस्थान - नितम्बयोः ॥ १२०२ ॥ हिन्दी टीका - परिणाम शब्द पुल्लिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं - १. चरम (अन्तिम) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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