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________________ १५० | नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित-दण्ड शब्द मूल : इक्ष्वाकुराजपुत्रेऽथ दण्डक: श्लोकवृत्तयोः । अथदण्डधरोराज्ञियमे लगुडधारके ।। ८२२ ॥ हिन्दी टीका-दण्ड शब्द का-१. इक्ष्वाकुराजपुत्र (इक्ष्वाकुवंश का राजपुत्रविशेष भी) अर्थ होता है । दण्डक शब्द भी पुल्लिग है और उसके दो अर्थ होते हैं-१. श्लोक (पद्य, छन्दोबद्ध) २. वृत (छन्द विशेष) । दण्डधर शब्द के तीन अर्थ माने जाते हैं-१. राजा, २. यम, और ३. लगुडधारक (दण्ड धारी पुरुष) इस तरह दण्डधर शब्द के तीन अर्थ जानना। मूल : दण्डनीतिस्तु दुर्गायामर्थशास्त्रे स्त्रियां मता। दण्डपालः पुमानर्द्ध शफर द्वारपालयोः ।। ८२३ ॥ दण्डयात्रा दिग्विजये संयान वरयात्रयोः । दण्डयामो दिनेऽगस्त्ये यमेऽथ शरयन्त्रके ।। ८२४ ॥ कुलाल चक्र दण्डारो वाहने मत्तकुञ्जरे । दण्डी जिनान्तरे द्वास्थे यमे दमनकद्रुमे ।। ८२५ ॥ हिन्दी टीका-दण्डनीति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. दुर्गा और २. अर्थशास्त्र । दण्डपाल शब्द पुल्लिग है और उसके भी दो अर्थ होते हैं-१. अर्द्धशफर और २. द्वारपाल । दण्डयात्रा शब्द भी स्त्रोलिंग है और उसके तीन अर्थ माने गये हैं-१. दिगविजय (दिग् विजय के लिए प्रस्थान) और २. संयान (विशिष्ट प्रस्थान, चढ़ाई) तथा ३. वर यात्रा। दण्डयाम शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. दिन, २. अगस्त्य (ऋषि विशेष) और ३. यम । दण्डार शब्द भी पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं -१. शरयन्त्रक, २. कुलाल चक्र (घट बनाने की चक्की) और ३. वाहन तथा ४. मतकुञ्जर (मतवाला हाथी) । दण्डी शब्द भी पुल्लिंग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. जिनान्तर (भगवान जिन विशेष) २. द्वास्थ (द्वारपाल) ३, यम (धर्मराज) और ४. दमनकद्र म (वृक्ष विशेष - दमनक नाम का प्रसिद्ध वृक्ष) । मूल : त्रिलिंगो दण्डयुक्त ऽसौ चतुर्थाश्रमि मानवे । दद्रूः कूर्मे दद्रुरोगे दद्रुणो दद्रुरोगिणि ॥ ८२६ ।। दधि क्षीरोत्तरावस्थाभाव श्रीवासयोः पठे। दन्तोऽद्रिकटके शैल शृङ्ग दशन-कुञ्जयोः ॥ ८२७ ॥ हिन्दी टीका-१. दण्डयुक्त (दण्डधारी) अर्थ में दण्डी शब्द त्रिलिंग माना जाता है क्योंकि कोई भी पुरुष, स्त्री, साधारण दण्ड धारण कर सकता है, एवं २. चतुर्थाश्रामिमान (चतुर्थ आश्रम संन्यास आश्रमवासी साधु महात्मा) को भी दण्डी शब्द से व्यवहार किया जाता है। दद्र शब्द के दो अर्थ माने गये हैं-१. कूर्म (कच्छप, काचवा, काछु) और २. दद्र रोग (दिनाय) । दद्र ण शब्द का अर्थ- १. दद्र रोगी (दद्रु -दिनाय रोग वाला) होता है । दधि शब्द नपुंसक है और उसके तीन अर्थ होते हैं-१. क्षीरोतरावस्थाभाव (दूध का उत्तरकालीन अन्तिम परिणाम घनीभाव) को दधि (दही) कहते हैं। और २. श्रीवास (सुगन्धित द्रव्यविशेष, सरल देवदारु का तरल चूर्ण विशेष द्रव) तथा २. पट (कपड़ा) । दन्त शब्द पुल्लिग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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