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________________ नानार्थोदयसागर कोष : हिन्दी टीका सहित- दन्तशठ शब्द | १५१ है और उसके चार अर्थ माने जाते हैं --१. अद्रिकटक (पर्वत की चोटी या मध्य भाग) २. शैलशृङ्ग (पहाड़ का ऊपरी भाग) ३. दशन (दाँत) और ४. कुञ्ज (झाड़ी वन विशेष लताओं से वेष्टित वन)। मूल : स्मृतो दन्तशठो नागरंगके कर्मरंगके । अम्ले कपित्थे जम्बीरे चोङ्गरी चिञ्चयोः स्त्रियाम् ॥ ८२८ ॥ दन्ती वृक्षान्तरे पुंसि कुञ्जरे तु द्वयोरसौ। तपःक्लेशसहिष्णुत्वे बहिरिन्द्रिय निग्रहे ॥ ८२६ ॥ हिन्दी टीका-दन्तशठ शब्द पुल्लिग है और उसके पांच अर्थ माने गये है -१. नागरङ्गक (नारङ्गी) २. कर्मरंगक (वृक्ष विशेष) ३. अम्ल (धात्री या खट्टा पदार्थ) ४. कपित्थ (कदम्ब) 1. जम्बीर (नीबू) किन्तु ६. चोंगरी और ७. चिञ्चा (इमली, तेतरि) इन दोनों अर्थों में दन्तशठ शब्द स्त्रीलिंग माना जाता है । दन्ती शब्द १. वृक्षान्तर (वृक्ष विशेष अर्थ में) पुल्लिग ही माना जाता है किन्तु २ कुञ्जर (हाथी) अर्थ में तो दन्ती शब्द पुल्लिग तथा स्त्रीलिंग माना जाता है, एवं ३. तपःक्लेशसहिष्णुत्वे (तपोजन्य क्लेश का सहनशीलता) और ४. बहिरिन्द्रिय निग्रह (चक्षुरिन्द्रिय वगैरह बहिरिन्द्रिय को वश में रखना) इन दोनों अर्थों में भी दन्ती शब्द पुल्लिग और स्त्रीलिंग माना जाता है क्योंकि हाथी और हथिनी, तपस्वी या तपस्विनी ये सभी क्रमशः दन्तवाले और तपःक्लेशसहिष्णु और इन्द्रियनिग्रही हो सकते हैं। मूल : दण्ड-कर्दमयोः पुंसि दम इत्यभिधीयते । वीरोपशान्तयोः कुन्दे दमनः पुष्पचामरे ॥ ८३० ॥ दम्भस्तु कपटे कल्के साटोपाहंकृतावपि । अभीष्टे दयितं पत्यौ दयितो दयिता स्त्रियाम् ।। ८३१ ॥ हिन्दी टोका–दम शब्द पुल्लिग है और उसके दो अर्थ माने जाते हैं-१. दण्ड (दण्ड करना) और २. कर्दम (कीचड़)। दमन शब्द भी पुल्लिग है और उसके चार अर्थ माने गये हैं-१. वीर (शूर) २. उपशान्त (धीर गम्भीर) ३. कुन्द (कुन्द नाम का फूल विशेष) और ४. पुष्प चामर । दम्भ शब्द भी पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं-१. कपट, २. कल्क (पाप) और ३. साटोपाहंकृति (आडम्बर पूर्वक अहंकार भावना) । नपुंसक दयित शब्द का अर्थ-१. अभीष्ट (ईप्सित) होता है और पुल्लिग दयित शब्द का १. पति (स्वामी) अर्थ होता है और स्त्रीलिंग दयिता शब्द का अर्थ-१. स्त्री (महिला) जानना चाहिये। दरोऽस्त्रियां भये गर्ते शंखेऽसौ कन्दरद्वयोः । दरत् स्त्रियां म्लेच्छजातौ प्रपाते भयतीरयो ॥ ८३२ ॥ हृदि शैलेऽथ दरदो म्लेच्छे देशान्तरे भये।। दर्दु रो राक्षसे भेक - वाद्यभाण्डविशेषयोः ॥ ८३३ ॥ हिन्दी टीका-दर शब्द पुल्लिग तथा नपुंसक है और उसके तीन अर्थ माने जाते हैं—१. भय, २. गर्त (खड्ढा) और ३. शंख, किन्तु ४. कन्दर (गुफा) अर्थ में दर शब्द पुल्लिग तथा स्त्रीलिंग माना मूल : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016062
Book TitleNanarthodaysagar kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherGhasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore
Publication Year1988
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size22 MB
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