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________________ 60 जैन आगम प्राणी कोश की ध्वनि निकालते हैं। जो सामने की किसी वस्तु से धारियां होती हैं। आंखें बड़ी एवं गोल। भिन्न-भिन्न टकराकर जब लौटती है तो उस वस्तु की स्थिति देशों में इनका रंग भी भिन्न भिन्न होता है। आकृति, चरित्र और गुणों के बारे में सारी सूचना ले विवरण-भारत, लंका, बर्मा, आस्ट्रेलिया आदि देशों आती हैं। में इनकी अनेक जातियां पायी जाती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. यह सर्प एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर जाते समय अथवा 197] वृक्ष से नीचे जमीन पर आने के लिए एक विशेष प्रकार की छलांग भरता है। यह 50 मीटर तक हवा में उड़ पडागा [पताका] प्रज्ञा. 1/56 सकता है। A fish having a flag, Monster-पताका वाली [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Indian Reptiles, मछली। common Indian Snake, Snakes of Southern आकार-कछुए की मुखाकृति वाली मछली। Africa] लक्षण-शरीर का रंग गहरा-भूरा। पंख सिलवटे (सिल्क) युक्त। पंख (पताका) की लंबाई 6 फुट । कुल पडागातिपडागा [पताकातिपताका] प्रज्ञा. 1/56 शरीर की लम्बाई लगभग 50 फुट। Sea Cow, Flying Fish-समुद्री गाय, उड़ने वाली विवरण-महासमुद्रों में पाया जाने वाली यह मछली मछली। अत्यन्त तीव्रता से तैरती है। तैरते समय शरीर 6-7 आकार-गाय की आकृति वाली मछली। या फुट पानी से ऊपर रहता है। सर्वप्रथम ब्राजील के समुद्री लक्षण-शरीर का रंग काला-सफेद। सींग बड़े और तट के पास प्राणी-शास्त्री माइकन जोहन, निकल और काले, ललाट पर सफेद पट्टा। गले की लं. 20 फीट। E.G.B. मीड वाल्डो ने सन् 1905 में इस मछली को कुल शरीर की लं. 60 फीट। देखा था। विवरण-महासमुद्रों में पाई जाने वाली इस मछली के [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-ManandAnimals] शरीर पर पंख (पताका) होते हैं। जो तैरते समय पानी से 4 फीट तक ऊपर रहते हैं। पंख का रंग काला त्रिकोण पडागा [पताका] प्रज्ञा. 1/71 [पा.] सा दिखाई देता है। सर्वप्रथम इसे विश्व महायुद्ध के Flying-Snake, Golden Tree-Snake-पताका समय ग्रेट ब्रिटेन के कैप्टन FWDeen ने देखा था। वाला सर्प, उड़ने वाला सर्प,कालाजीन, माल-कारावला। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Manand Animals आकार-लगभग 3-5 फीट लम्बा। सचित्र विश्व कोश लक्षण-शरीर का रंग काला, जिस पर हरी-पीली पड्डिका [पड्डिका] विपा.टी.प. 48 Calf-पाड़ी, बछिया। देखें-गाव (गाय) पत्तविच्छ्य [पत्रवृश्चिक] प्रज्ञा. 1/51 Scorpion of Leaf-पत्रबिच्छु, पत्रवृश्चक। विवरण-पुराने पत्तों के ढेर में उत्पन्न होने वाला यह बिच्छु साधारणतया अन्य बिच्छुओं की अपेक्षा छोटा एवं खतरनाक होता है। [शेष-विवरण के लिए द्रष्टव्य-विच्छुत] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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