SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन आगम प्राणी कोश पत्ताहार [ पत्राहार] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 Crop Pest - पत्राहारक आकार - शुंडी के समान । लक्षण - शरीर का रंग अनेक प्रकार का । विवरण- इन कीटों का शरीर मुलायम एवं अनेक पैर वाला होता है। इनकी प्रारम्भिक अवस्था लार्वा है, जो पत्तों को खाती है । पयंग [पतंग] प्रज्ञा. 1/ 51 उत्त. 36/146 Moth - पतंग आकार-तितली. के समान । लक्षण - तीन भागों में विभक्त शरीर एवं छः पैर । पंखों पर चिमड़े (Scales) बने होते हैं। विवरण-पतंगों की लगभग 5 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। तितली की भांति पंखों का रंग अनेक प्रकार का होता है। पतंगें रात में ही भोजन के लिए निकलते हैं। इनका शरीर मोटा और थलथल होता है जिस पर रोएं उगे रहते हैं। ये विश्राम करते समय अपने पंख फैलाए रहते हैं। इनके जीवन की चार अवस्थाएं होती हैं - अंडा, लार्वा, प्यूपा और वय प्राप्त कीट। इनके लार्वा इतनी तेजी से खाते और बढ़ते हैं कि इनकी चमड़ी का खोल फट जाता है। ये जीवन में अपने खोल कई बार बदलते हैं। इनका नया खोल पहले से बहुत भिन्न हुआ करता है। फूलों, फलों का रस इनका मुख्य भोजन है । XAV Jain Education International de de god de derbek पयलाइया [पयलाई सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 Beaver - बीवर, प्रचलिका 61 आकार - ऊदबिलाव से बड़ा । लक्षण - शरीर की लम्बाई 80 से.मी. से 1 मी. तक । पूंछ की लम्बाई 30 से.मी. से 35 से.मी. तथा वजन 21-30 kg. तक होता है। पूंछ लम्बी झबरीली तथा दांत तीखे होते हैं । विवरण - यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में पाया जाने वाला यह एक शाकाहारी प्राणी है। यह मोटे-से-मोटे वृक्षों को बड़ी तेजी से काट डालता है। यह प्राणी जगत का एक कुशल इंजीनियर कहलाता है । यह पानी पर बांध बनाकर बांध में अपना घर बनाता है। बांध बनाने में कई बीवर मिलकर काम करते हैं । विमर्श : राजनिघंटु पृ. 607 में प्रचालाकी शब्द प्रयुक्त हुआ है, जिसे मोर का पर्यायवाची तथा कैदेवनिघंटु पृ. 473 में गिरगिट का पर्यायवाची माना है । विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-विश्व के विचित्र जीव-जंतु FFFFF noal8 nsibil परस्सर [परस्सर] प्रज्ञा. 1/66 जम्बू. 2 / 136 भग. 7/122 आकार - 4 फीट लम्बा भालू की प्रजाति का जन्तु । लक्षण - मजबूत एवं बड़े नाखून वाला पंजा, टांगें छोटी। विवरण- वर्तमान में यह आस्ट्रेलिया में पाया जाता है। दिन में अपने बिल में छुपा रहता है और रात में भोजन के लिए बाहर निकलता है। यह पूर्ण शाकाहारी जीव है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Nature, सचित्र विश्व कोश ] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy