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________________ ४८४ पायमूल -- नर्तक की जाति- विशेष पारक्कय - शत्रु पारग्गह—– युद्ध पारत्ति - कुसुम - विशेष पारद्धिय-व्याध, शिकारी — व्याघ - इत्यर्थे देशी पारमर -राक्षस पारा उट्ठय- -वृक्ष - विशेष पालखी-शिविका, पालकी ――― पालित्तिअ - १ राजधानी । २ मूल नीवी । ३ भण्डार । ४ भंगी, प्रकार पालिद्धय - बांस से वेष्टित पताका पावय - वाद्य विशेष पासण्ण- १ घर का द्वार । २ तिरछा पासुय - शुद्ध, प्रासुक पाहड -- परिपूर्ण स्त्री पाहिआवडा -- ललना, पाहुण - अतिथि ( पाहुण - मराठी, राज पिउच्चा - सखी पिउच्छा - सखी पिउसिआ - पिता की बहिन पिंजर - १ हंस । २ वृष पिंजल -प्रमाण पिंजुरुअ- भारंड पक्षी पिंडरव - तैल आदि बेचने वाला व्यापारी पिडवास - सेवक पिच्छल्ल ---- लज्जा पिडय - आविग्न Jain Education International पिडिल्लिक - क्रूर पिड्डुइअ - पिप्पिया - दन्त- मैल -प्रशान्त पियल -- तिलक पियल्लिया - प्रिया पिल्लि -- यान - विशेष पिल्लुग - छींक पिसक्क - पिशाच - पिशाच इत्यर्थे देशी पिहुण - पिच्छी पीईय- वृक्ष - विशेष, गुल्म का एक प्रकार पीढी-काष्ठ- विशेष पीलु - हस्ति- शावक पुअइ- - चांडाल पुइअ - चांडाल देशी शब्दकोश पुखणग - चुमाना, विवाह में होने वाली एक रीति (पोंखणुं - गुज) पुंगल-श्रेष्ठ, उत्तम पुंजय - कतवार (पुंजो - गुज ) पुंडरिआ -- उत्कलिका पुंडरीय - जल - व्याघ्र पुंभ - नीरस, दाडिम का छिलका पुंसुल - विसंवाद पुग्ग- वाद्य-विशेष पुट्टल - गठरी, पोटली पुट्टलय - - गट्ठर, पोटली पुत्तर—- योनि पुप्फस - फेफड़ा पुष्की - पिता की बहिन, फूफी पुर- प्रचुर पुरिअ - दैत्य, दानव For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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