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________________ ३६८ सइज्झिया - पड़ोसिन ( पिनि ३४२ टी ) । सइदंसण - मनोदृष्ट, विचारों में प्रतिभासित ( दे ८१९ ) । सइदिट्ठ - मनोदृष्ट (दे ८।१६) |] -- सइरवसह-धर्म के अभिप्राय से त्यक्त बैल, स्वैरवृषभ, स्वच्छन्द बैल (दे ८।२१) । सइलंभ - मनोदृष्ट, चित्त में प्रतिभासित (दे ८ १९) । सइलासय-- मयूर, मोर (दे ८।२० ) | सहसिलिंब - स्कन्द, कार्तिकेय ( ८।२० ) । सइसुह - मनोदृष्ट (दे ८११६) । सईणा --- रहर, तुवरी (श्रु ६ । ३ ) | सउडि -- रजाई- 'पवेसिओ सउडिमज्भे हत्थो' (बूटी पृ ५८ ) । देशी शब्दकोश सउण - रूढ, प्रसिद्ध (दे ८|३) | सउलिअ - प्रेरित (दे ८।१२) । सउलिया - १ शकुनिका, चील (अनुद्वा १४१ ) । २ एक महौषधि । सउली - १ चील, शकुनिका ( दे ८15 ) । २ एक महौषधि । सज्जिया -- पडोसिन (ओनि १६७ ) । सएज्झअ -- पड़ोसी (बृभा ३३४९) । सज्झि - पड़ोसिन (बृभा १५३६) । सज्झिग - पड़ोसी, साधर्मिक ( निचू ४ पृ ६० ) । सएज्झिया - पड़ोसिन, सखी ( आवहाटी १ पृ २३५) । संकडिल्ल - निश्छिद्र (दे ८।१५) । संकर - रथ्या, मार्ग (व्यभा ८ टीप ३३; दे ८१६ ) | संकाइयग ---तापसों का पात्र - विशेष (भ ११।६४) । संख - - १ शरीर का अवयव - विशेष - 'दंता संखा य गंडा य करमज्झो तहेव य' (अंवि पृ७७ ) । २ स्तुतिपाठक (दे ८१२ ) । संखड - कलह, झगड़ा ( पिनि ३२४) । संखडि - सरस भोजन, जीमनवार (आ है| ११६ ) 1 संखद्रह - गोदावरी नदी का ह्रद (दे ८|१४) । संखबइल्ल - किसान की इच्छानुसार उठकर खड़ा होने वाला बैल (दे ८|१९) । संखलय -- शम्बूक, शुक्ति के आकार का जल जंतु - विशेष (दे ८ । १६ ) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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