SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 529
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राज्य ४८४ आगम विषय कोश-२ १२. वैराज्य-विरुद्ध राज्य : निर्वचन एवं स्वरूप १३. मुनि के लिए वैराज्यगमन-निषेध क्यों? वेरं जत्थ उ रज्जे, वेरं जायं व वेररज्जं वा। नो कप्पइ निग्गंथाण. वेरज्जविरुद्धरजंसि....... जं च विरज्जइ रज्जं, रज्जेणं विगयरायं वा॥ सज्जंगमणागमणं करेत्तए।... (क १/३७) अणराए जुवराए, तत्तो वेरज्जए अ बेरज्जे।..... ....... दो सीमेऽइक्कमई, जिणसीमं रायसीमं च॥ अणरायं निवमरणे, जुवराया जाव दोच्च णऽभिसित्तो। ___ बंधं वहं च घोरं, आवज्जइ एरिसे विहरमाणो।.... वेरजं तु परबलं, दाइयकलहो उ बेरजं॥ (बृभा २७८२, २७८३) अविरुद्धा वाणियगा, गमणागमणं च होइ अविरुद्धं । .."यत्र तु द्वयोरपि राज्ञो राज्ये परस्परं गमनागमनं विरुद्धं निग्रंथ वैराज्य-विरुद्धराज्य में सद्यः गमनागमन नहीं कर सकते। वहां जाने से दो सीमाओं का अतिक्रमण होता हैतद् विरुद्धराज्यमुच्यते। यत्र तु वणिजां शेषजनपदस्य च निस्सञ्चारं कृतं-गमनागमननिषेधो विहितस्तद् वैराज्यं जिनसीमा (अर्हत्-आज्ञा) और राजसीमा। ऐसे निषिद्ध क्षेत्र में विहरण करने वाला घोर बंध और वध को प्राप्त होता है। विरुद्धमुच्यते। (बृभा २७६०, २७६३-२७६५ वृ) • वैराज्य गमन के अपवाद वैराज्य के पांच निर्वचन हैं दसण नाणे माता, भत्तविसोही गिलाणमायरिए। ० जिस राज्य में पूर्व परम्परागत वैर चल रहा हो। अधिकरण वाद राय कुलसंगते कप्पई गंतुं॥ ० जिस राज्य में परम्परागत वैर नहीं किन्तु वर्तमान में वैर हो। सगुरु कुल सदेसे वा, नाणे गहिए सई य सामत्थे। ० जो राजा दूसरों के ग्राम, नगर आदि का दहन करवाने में अथवा वच्चइ उ अन्नदेसे, दंसणजुत्ताइअत्थो वा॥ छोटे-छोटे झगड़े करवाकर विरोध में रस लेता हो, उसका राज्य। ____."तत्रापि ये आसन्नतरा एकवाचनाकाश्चाचार्यास्तेषां ० जिस राज्य के मंत्री आदि प्रधान पुरुष राजा से विरक्त हों। समीपे दर्शनविशुद्धिकारणीया गोविन्दनियुक्तिः"सन्मति० जिस देश का राजा मृत्यु को प्राप्त हो गया अथवा राजा प्रवासी तत्त्वार्थप्रभृतीनि च शास्त्राणि तदर्थः""प्रमाणशास्त्रकुशलाहो गया है, वह राज्य अराजक होने से वैराज्य कहलाता है। वैराज्य के चार प्रकार हैं नामाचार्याणां समीपे गच्छेत्॥ (बृभा २७८४, २८८० वृ) १. अराजक–पूर्व राजा की मृत्यु के पश्चात् नये राजा और युवराज निम्न कारणों से मुनि वैराज्य में जा सकता हैका अभिषेक न हो, तब तक वह राज्य अराजक कहलाता है। ० दर्शनशास्त्र और आगमग्रंथों की विशद जानकारी के लिए। २. यौवराज्य-वह राज्य, जो पूर्व राजा द्वारा युवराजपद पर अभिषिक्त किसी के माता-पिता प्रव्रजित होना चाहते हैं या वे शोकाकुल हैं व्यक्ति से अधिष्ठित है, किन्तु उस युवराज ने अभी तक दूसरे तो उन्हें समाधान देने के लिए। युवराज का अभिषेक नहीं किया है। ० अनशनकामी मुनि गीतार्थ के पास आलोचना करने के लिए ३. वैराज्य-जहां शत्रुसेना आकर विप्लव या उत्पात करती है। अथवा गीतार्थ स्थिरवासी अनशनकामी की विशोधि के लिए। ४. द्वैराज्य-जहां दो गुटों का राज्य हो। वे दोनों गुट सगोत्रीय भी . ग्लान मुनि की परिचर्या या ग्लानप्रायोग्य औषध लाने के लिए। हो सकते हैं अथवा विरोधी भी हो सकते हैं। दोनों के अपनी- आचार्य की उपासना या आचार्य के आदेश-पालन के लिए। अपनी सेना होती है। दोनों प्रायः कलहरत होते हैं। ० कदाचित् किसी मुनि का गृहस्थ के साथ अधिकरण हो गया हो, जिस वैराज्य में वणिक परस्पर अविरुद्ध रूप से गमनागमन । गृहस्थ उपशांत नहीं हो रहा हो तो प्रज्ञापनालब्धिसंपन्न मुनि उसे करते हों, वहां मुनि गमनागमन कर सकता है। विरुद्धराज्य-जहां उपशांत करने के लिए। दोनों ही राजाओं के राज्य में परस्पर गमनागमन विरुद्ध हो, वह वादलब्धिसम्पन्न मुनि वादी का निग्रह करने के लिए। विरुद्धराज्य कहलाता है। जहां वणिक् तथा शेष जनपद का गमना- ० साधुओं से रुष्ट-प्रद्विष्ट राजा को उपशांत करने के लिए। गमन निषिद्ध है, वह वैराज्य विरुद्धराज्य कहलाता है। ० कुल, गण आदि से संबद्ध कार्य के लिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016049
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages732
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy