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________________ ४. प्रमाणांगुल का स्वरूप पमाणंगले -- एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टि - स्स अट्ठसोवणिए कागणिरयणे छत्तले दुवाल संसिए अट्टकणिए अहिगरणिसंठाणसंठिए पण्णत्ते । तस्स णं एगमेगा कोडी उस्सेहंगुल विक्खंभा, तं समणस्स भगवओ महावीरस्स अद्धंगुलं, तं सहस्सगुणियं पमाणंगुलं भवइ । ( अनु ४०८ ) प्रत्येक चातुरंत चक्रवर्ती राजा का काकणीरत्न आठ सुवर्ण जितने वजन वाला, छह तल, बारह भुजा और आठ कोण वाला तथा अहरन के संस्थान से संस्थित होता है । उसकी प्रत्येक भुजा उत्सेध अंगुल के समान चौड़ाई वाली होती है । वह श्रमण महावीर का अर्ध अंगुल होता है । वह सहस्र गुना होने पर प्रमाण अंगुल है चत्तारि मधुरतिणफला एगो सेतसरिसवो । ते सोलससरिसवा धन्नमासफलं एगं । दो धन्नमासफला एगा गुंजा | पंच गुंजातो एगो कम्ममासगो । सोलसकम्ममासगो एगो सुवण्णो । अट्ठसोवण्णियं काकणीरयणं । एतं सुवण्णपमाणं जं भरहकाले मधुरतिणफलादिपमाणं ततो आणेतव्वं, जतो सव्वचक्कवट्टीणं काकणीरयणं एगप्पमाणंति । ( अनुचू पृ ५५ ) १ श्वेत सर्षप ४ मधुरतृणफल १६ सर्षप २ धान्यमाषफल ५ गुंजा १६ कर्ममाषक सौर्वाणक १ धान्यमाषफल १ गुंजा १ कर्म माषक १ सुवर्ण १ काकिणीरत्न सब चक्रवत्तियों का काकिणी रत्न समान प्रमाण वाला होता है । अतः भरत चक्रवर्ती के समय जो सुवर्णप्रमाण था, उसी से मधुरतृणफल आदि का प्रमाण ज्ञातव्य है । ( काकिणीरत्न द्र. चक्रवर्ती) भगवान महावीर की अवगाहना और अंगल Jain Education International वीरो आदेसंतरतो आयंगुलेण चुलसीतिमंगुलुव्विद्धो, उस्सेहतो पुण सत्तट्ठसतं भवति । अतो दो उस्सेहंगुला वीरस्स आतंगुलं । एवं वीरस्स आयंगुलातो अद्धं उस्सेहंगुलं दिट्ठ । जेसि पुण वीरो आयंगुलेण अट्ठत्तर उत्सेधांगुल और प्रमाणांगुल मंगलसतं तेसि वीरस्स आयंगुलेण एगं उस्सेहंगुलं उस्सेहंगुलस्स य पंच णवभागा भवंति । जेसिं पुण वीरो आयंगुलेण वीसुत्तरमंगुलसयं तेसि वीरस्स आयंगुलेणेगमुस्सेहंगुलं उस्सेहंगुलस्स य दो पंचभागा भवंति एवमेतं सव्वं तेरासियकरणेण दव्वं । ( अनुचू पृ ५५,५६ ) भगवान महावीर का शरीर उत्सेध अंगुल से सात हाथ प्रमाण था । एक हाथ के २४ उत्सेध अंगुल होते हैं । इसलिए ७ हाथ के उत्सेधांगुल २४४७=१६८ हुए । १८ १ उत्सेध अंगुल - भगवान महावीर का रे अंगुल १६८ उत्सेध अंगुल = १३ X १ = ८४ अंगुल । भगवान महावीर का शरीर आत्मांगुल अर्थात् स्वयं के अंगुल से ८४ अंगुल (३३ हाथ ) का था । ८४ + २४ = ३३ हाथ | एक मत यह है कि भगवान का शरीर आत्मांगुल से ४३ हाथ अर्थात् २४४४ = = १०८ अंगुल का था । इस मत के अनुसार भगवान महावीर का १ अंगुल उत्सेध अंगुल १ है के बराबर था । १०८ आत्मांगुल = १६८ उत्सेध अंगुल १ आत्मांगुल = १६६ ==१% एक मान्यता यह भी रही है कि भगवान महावीर का शरीर अपने अंगुल से ५ हाथ अथवा २४×५=१२० अंगुल का था । १२० आत्मांगुल=१६८ उत्सेधांगुल १ आत्मांगुल = १३5 ==१३ यह सब त्रैराशिक मत के आधार पर द्रष्टव्य है । (नोट : १. सत्तसदृसतं - इस पाठ के आधार पर १६७ अंगुल होने चाहिये, किन्तु गणित के अनुसार १६८ अंगुल होते हैं ।) उत्सेधांगुल और प्रमाणांगुल भरो आयंगुलेण वीसुतरमंगुलसतं तं च सपादं धणुयं उस्सेहंगुलमाणेण पंचधणुसते लभामि तो एगेण get fi freसामि ? आगतं चत्तारि धणुसताणि सेढीए, एवं सव्वे अंगुलजोयणादयो दट्ठव्वा । एगंमि सेढिप्पमाणंगुले चउरो उस्सेहंगुलसता भवंति । तं पमाणंगुलं उस्सेहंगुलप्पमाणेणं अद्धातियंगुलवित्थडं जं तो सेढीए चउरो सता अड्ढाइयंगुलगुणिता सहस्समुस्सेहं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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