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________________ उत्सेधांगुल अंगुल सव्वत्थोवे सूईअंगुले, पयरंगुले असंखेज्जगुणे, घणंगुले बालाग्र का पूर्व विदेह और अपर विदेह के मनुष्यों का एक असंखेज्जगुणे । (अनु ३९४) बालान, पूर्व विदेह और अपर विदेह के मनुष्यों के आठ __ सबसे अल्प सूची अंगुल है। प्रतर अंगुल उससे बालाग्र का भरत और ऐरवत के मनुष्यों का एक असंख्यात गुना तथा घनअंगुल उससे असंख्यात गुना है।। बालाग्र, भरत और ऐरवत के मनुष्यों के आठ बालाग्र ३. उत्सेधांगुल का स्वरूप की एक लिक्षा, आठ लिक्षा की एक यूका, आठ यूका उस्सेहंगुले अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा का एक यवमध्य और आठ यवमध्यों का एक उत्सेध परमाणू तसरेणू, रहरेणू अग्गयं च वालस्स । अंगुल होता है। लिक्खा जूया य जवो, अट्टगुणविवढिया कमसो ॥ उत्सेधांगुल और पाद, वितस्ति आदि (अनु ३९५) एएणं अंगुलप्पमाणेणं छ अंगुलाई पादो, बारस उत्सेध अंगुल के अनेक प्रकार हैं, जैसे-परमाणु, अंगुलाई विहत्थी, चउवीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं त्रसरेणु, रथरेणु, बालाग्र, लिक्षा, यूका और यव । अंगुलाई कुच्छी, छन्नउइ अंगुलाई से एगे दंडे इ वा धण ये क्रमशः आठ-आठ गुना अधिक हैं। __ इ वा जुगे इ वा नालिया इ वा अक्खे इ वा मुसले इ वा, अणंताणं वावहारियपरमाणपोग्गलाणं समूदय-समिति- एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि समागमेणं सा एगा उसण्हसण्डिया''अट्र उसण्हसण्हियाओ गाउयाइं जोयणं । (अनु ४००) सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सहसण्हियाओ सा एगा इस अंगुल-प्रमाण से छह अंगुल का पाद, बारह उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तस- अंगुल की वितस्ति, चौबीस अंगुल की रत्नि, अडतालीस रेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ देवकुरुउत्तरकुरु- अंगुल की कुक्षि और छयानवे अंगुल का एक दण्ड अथवा गाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ देवकुरु-उत्तरकुरुगाणं धनुष, युग, नालिका, अक्ष अथवा मुसल होता है। इस मणस्साणं वालग्गा हरिवास-रम्मगवासाणं मणुस्साणं से धनुष-प्रमाण से दो हजार धनुष का एक गव्यूत (कोस) एगे वालग्गे, अट्ट हरिवास-रम्मगवासाणं मणुस्साणं और चार गव्यूत का एक योजन होता है। वालग्गा हेमवय-हेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, उत्सेधांगुल से शरीर की अवगाहना का माप अट्ट हेमवय-हेरण्णवयाणं मणुस्साणं वालग्गा पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ पुव्वविदेह एएणं उस्सेहंगुलेणं नेरइय-तिरिक्खजोणियअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा भरहेरवयाणं मणुस्साणं मणुस्स-देवाणं सरीरोगाहणाओ मविज्जति ।। से एगे वालग्गे, अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा (अनु ४०१) लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया, अट्ठ जूयाओ से नणु भणियमुस्सयंगुलपमाणओ जीवदेहमाणाइ । एगे जवमझे, अट्ट जवमझा से एगे उस्सेहंगले । (विभा ३४१) (अनु ३९९) इस उत्सेध अंगुल से ही नैरयिक, तिर्यक्योनिक, अनन्त व्यावहारिक परमाणु पुद्गलों के समुदय, मनुष्य और देवों के शरीर की अवगाहना मापी जाती समिति और समागम से एक उत्श्लक्ष्णश्लक्ष्णिका, हैं। आठ उत्श्लक्ष्ण-श्लक्ष्णिका की एक श्लष्णश्ल- से समासओ तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सईअंगले क्षिणका, आठ श्लक्ष्णश्लक्षिणका का एक ऊर्ध्वरेण, आठ पयरंगुले घणंगुले । अंगुलायया एगपएसिया सेढी सईऊर्ध्वरेणु का (एक त्रसरेणु, आठ त्रसरेण का एक रथ- अंगुले । सूई सूईए गुणिया पयरंगुले । पयरं सूईए गुणितं रेणु, आठ रथरेणु का देवकुरु और उत्तरकुरु के मनुष्यों घणंगुले । का एक बालाग्र, देवकुरु और उत्तरकुरु के मनुष्यों के उत्सेध अंगुल के संक्षेप में तीन प्रकार प्रज्ञप्त हैं आठ बालाग्र का हरिवर्ष और रम्यक् वर्ष के मनुष्यों का -सूची अंगुल, प्रतर अंगुल और घन अंगुल । एक बालाग्र, हरिवर्ष और रम्यक् वर्ष के मनुष्यों के आठ एक अंगुल लम्बी एक प्रदेशवाली श्रेणी सूची अंगुल बालाग्र का हैमवत और हैरण्यवत के मनुष्यों का एक है । सूची अंगुल से गुणित सूची अंगुल प्रतर अंगुल है। बालाग्र, हैमवत और हैरण्यवत के मनुष्यों के आठ सूची अंगुल से गुणित प्रतर अंगुल घन अंगुल है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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