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________________ पंचास्तिकाय अस्तिकाय वस्तुओं के चलन एवं प्रतिमाओं के बोलने से, भूमि की । ६. आकाशास्तिकाय स्निग्ध-रूक्ष आदि अवस्थाओं के द्वारा शुभाशुभ का ज्ञान निर्वचन करना भौमनिमित्त है। ० लक्षण १०. अंतरिक्षनिमित्त • भेद अन्तरिक्षाद्दिगुदाहपांशुवृष्ट्यादयः, दिव्या ग्रहयुद्धादि। ७. धर्म-अधर्म-आकाश : क्षेत्र काल की अपेक्षा से (उचू पृ २३६) ८. धर्मास्तिकाय आदि का सप्रदेशत्व-अप्रदेशत्व आकाश में होने वाले गन्धर्व नगर, दिग्दाह, धुलि ९. अरूपी अस्तिकाय में उत्पाद-व्यय की वृष्टि आदि के द्वारा अथवा ग्रहों के युद्ध तथा | १०. आकाश : पर्याय-परिमाण उदय-अस्त के द्वारा शुभ-अशुभ का ज्ञान करना अंतरिक्ष * लोकविभाग का हेतु :धर्म-अधर्म (द्र. लोक) निमित्त है। * आकाश के भेद : लोक-अलोक (द्र. लोक) असंख्येय--संख्या प्रमाण का एक उपभेद। (द्र. संख्या) १. अस्तिकाय के अर्थ असंज्ञिश्रुत-बिना मन वाले प्राणी का अवबोध । काया समुदाया अत्थी य काया य अत्थिकाया । (द. श्रुतज्ञान) (दअचू पृ१०) अस्तिकाय-कालिक सत्ता वाला सावयवी, अत्थि वेज्जति काया य अत्थिकाया । सप्रदेशो पदार्थ। (दजिचू पृ १६) अवयव एव समुदायशब्दोपचारादस्तिकायधर्मः । १. अस्तिकाय के अर्थ (दहावृ प २२) २. पंचास्तिकाय अस्ति का अर्थ है विद्यमानता और काय का अर्थ धर्मास्तिकाय है-समुदाय । अवयवों का समुदाय अस्तिकाय कहलाता • अधर्मास्तिकाय • आकाशास्तिकाय अस्तीति ध्रौव्यं, आयत्ति कायः उत्पादविनाशो, * जीवास्तिकाय (व. जीव) | अस्तिश्चासौ कायश्च अस्तिकायः । (अनुचू पृ २९) * पुद्गलास्तिकाय (ब्र. पुद्गल) अस्ति का अर्थ है--ध्रौव्य और काय का अर्थ * पंचास्तिकाय द्रव्य है (प्र. द्रव्य) | है— उत्पाद और विनाश। जिसमें उत्पाद, व्यय और ३. काल अस्तिकाय नहीं ध्रौव्य हो, वह अस्तिकाय है। अस्तिशब्दः प्रदेशवाचकोऽस्तित्वे वा । कायशब्दोप्यत्र _ * काल का स्वरूप (द. काल) समूहवचनः । समूहः प्रदेशानां सावयवद्रव्यसम्रहवचनो वा। ४. धर्मास्तिकाय (अनुचू पृ २९,३०) • लक्षण अस्ति शब्द के दो अर्थ हैं -प्रदेश और अस्तित्व । मेव काय का अर्थ है समूह । प्रदेशों के समूह अथवा सावयव • धर्मास्तिकाय का अस्तित्व द्रव्यों के समूह को अस्तिकाय कहते हैं। • अलोक में धर्मास्तिकाय नहीं २.पंचास्तिकाय ० परिणमन की सदशता .."अस्थिकाया, ते य इमे पंच-धम्माऽधम्मा५. अधर्मास्तिकाय गासजीवपोग्गला। (दअचू पृ१०) • लक्षण अस्तिकाय पांच हैं--- • भेद १. धर्मास्तिकाय ४. जीवास्तिकाय • पर्याय २.अधर्मास्तिकाय ५. पुद्गलास्तिकाय .धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय का भेद ३. आकाशास्तिकाय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016048
Book TitleBhikshu Agam Visjay kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalprajna, Siddhpragna
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages804
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size18 MB
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