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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश उत्तम मानी जाती है। पीली,काली अरहर भी कहीं-कहीं पायी जाती है। (वनौषधि विशे० भाग०१ पृ० २४६) आमलक आमलक (आमलक) आमला। भ० २२॥३ विमर्श-प्रज्ञापना १।३६।१ में आमलग शब्द है। दोनों में समानता है। प्रज्ञापना सत्र में आमलग शब्द बहबीजक वर्ग के अन्तर्गत आया है। प्रज्ञापना की टीका में लोक प्रसिद्ध आमला ग्रहण न कर देश विशेष में हो वाले आमला का संकेत दिया है। आमले के भीतर १ गुठली होती है और उसमें ६ बीजों का उल्लेख मिलता है। नीचे इस तथ्य का स्पष्टीकरण दिया जा रहा VV अडहर. उत्पत्ति स्थान-इस देश के प्रायः सब प्रान्तों में इसकी खेती की जाती है। विवरण-इसका वृक्ष ४ से १० फीट ऊंचा एवं झाड़दार होता है। पत्ते त्रिपटक रहते हैं। पत्रक डेढ़ से २ इंच लंबे एवं आयताकार भालाकार होते हैं। इनके अधः पृष्ठ पर सूक्ष्म ग्रंथियां होती हैं। पुष्प पीले एवं बैंगनी धारी युक्त होते हैं। फलियां २ से ४ इंच लम्बी होती हैं। प्रत्येक फली में ३ से ५ तक बीज रहते हैं। बीज को ही अरहर कहते हैं। यद्यपि इसके अनेकों भेदोपभेद होते हैं तथापि इसके दो प्रकार अरहर एवं तूर होते हैं। (भाव०नि० पृ० ६४८) ___ अरहर-यह दो प्रकार की होती है (१) एक तो वह जो प्रतिवर्ष होती है, जिसका पौधा दो या तीन हाथ ऊंचा होता है और दाल आकार में बड़ी होती है। (२) दूसरी वह जो तीन या चार वर्षों तक फलती फूलती रहती है। इसका पौधा ५ से ८ हाथ तक ऊंचा बढ़ता है तथा इसका काण्ड भी काफी मोटा होता है। जो घरों के छप्पर वगैरह में लगाया जाता है। इसकी दाल ता आकार म छाटा होता है। वणभद स श्वत आर लाल इसको दो मुख्य जातिया होता है। श्वत की अपेक्षालाल अरहर नवरमिहामलकादयो न लोकप्रसिद्धा:प्रत्तिपत्तव्याः तेषामेकास्थिकत्वात् किन्तु देशविशेषप्रसिद्धबहुबीजका एव केचना (प्रज्ञापना टीका पत्र ३२) यहां आमलक आदि लोक में प्रसिद्ध है उनको नहीं लेना चाहिए क्योंकि उनमें एक गुठली (अस्थि) होती है। किन्तु किसी देश में होने वाले बहुबीजक आमलक ही लेने चाहिए। आमलक के पर्यायवाची नाम - वयस्थाऽऽमलकं वृष्यं, जातीफलरसं शिवम्। धात्रीफलं श्रीफलं च, तथाऽमृतफलं स्मृतम्॥२१५॥ आमलक,वयस्था,वृष्य, जातीफलरस, शिव, धात्रीफल, श्रीफल तथा अमतफल ये वयस्था के पर्याय हैं। (धन्व० नि० १।२१५ पृ०७९) अय भाषाओं में नाम हि०-आमला, आंवला, आंवडा, आंवरा, औडा, औरा। बं०-आमला, आमरो, अमला, आमलकी। म०-आवले, आवली, आवलकाठी। प०-आमला, अम्बुल, अम्बली। मा०-आंवला। गु०-आंवला, आमला, आंमला, आमली। क०-नेल्लि, नेल्लिकायि। ते०-उसरिकाय, उसरिक। उ०अण्डा। आसा०-अमला, आमलकी।गारो०-अम्बरी।ता०नेल्लिमरं, नेल्लिकाय। ब्रह्मा-शब्जु जिफियूसी।फा०-आमलज, आमलज, आमलय, आमलह, आमलाह, आम्लझ। अ०आमलज्ज।अं०-Indian gooseberry (इन्डियनगूसबेरी)। ले०-Phyllanthusemplication (फाइलेन्थस एम्ब्लिका)। Famharhinde (यफरबियेसी)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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