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________________ 140 जैन आगम : वनस्पति कोश पर होता है। भेदों का वर्णन धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक में इस विवरण-यह झाड़ीदार वृक्ष होता है। शाखायें प्रकार हैरोमश होती हैं। पत्ते साधारण विपरीत, ५ से ७.५ से.मी. इसके अनेक भेद और उपभेद हैं। उनमें से प्रमुख लंबे अंडाकार या अंडाकारआयताकार, लंबाग्र तथा १ से भेद इस प्रकार है (A) बेला (B) वासन्ती (नेवारी) (C) २ से.मी. लंबे पत्रनाल से युक्त होते हैं। पुष्प अत्यन्त इसका दूसरा भेद वनमल्लिका, मदयन्ती, भूपदी, सुगंधित, सफेद रंग के, २.५ से ३.३ से.मी. व्यास में एवं अतिमुक्ता (मोतिया, बुटमोगरा, बेलमोगरा) है । (D) चंबा, मृदुरोमश होते हैं। इनके खण्ड नलिका से बड़े या बराबर मोतिया, बनसू, जेहसिंग (E) हरेल चारा (नेपाली नाम) होते हैं। अन्तर्दल नलिका १ से १.३ से.मी. तथा खण्ड (F) कस्तूरी मल्लिका (G) बेलाकुंद भी इसकी एक जाति ६ से १२ रहते हैं। स्त्रीकेशर १, आयताकार या अंडाकार विशेष है। (H) बिख मोगरा (I) एक एरण्ड कुल का दूध १, ३ से.मी. लंबा एवं काला होता है। मोगरा होता है। (भाव०नि०पुष्पवर्ग, पृ० ४८६,४६०) (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० २१७ से २१६) णोमालिया तउसी णोमालिया (नवमालिका) नेवारी तउसी (त्रपुषी) खीरा, बालमखीरा रा०३० जीवा० ३/२८३ भ. २२/६ प० १/४०/१ देखें णोमालिय शब्द। त्रपुषी के पर्यायवाची नाम त्रपुषी, पीतपुष्पी, कण्टालु स्त्रपुसकर्कटी। __णोमालिया गुम्म बहुफला कोशफला, सा तुन्दिलफला मुनिः।।२०५ ।। त्रपुषी, पीतपुष्पी, कण्टालु, त्रपुस कर्कटी, बहुफला, णोमालियागुम्म (नवमालिका गुल्म) नेवारी का कोशफला, तुन्दिलफला ये सब खीरा के संस्कृत गुल्म जीवा० ३/५० पर्यायवाची नाम हैं। इसके कांड की ऊंचाई ५ से ७ फुट की होती है। (राज०नि०७/२०५ पृ० २२८) (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ० १६६) di पहाणमल्लिया ण्हाणमल्लिया (स्नान मल्लिका) मोगरा का एक भेद रा०३० जीवा०३/२८३ विमर्श-मल्लिका संस्कृत भाषा का शब्द है। हिन्दी भाषा में इसे बेला (मोगरा) कहते हैं। स्नानमल्लिका भी इसका एक भेद होना चाहिए। निघंटुओं में और आयुर्वेद के कोशों में इसका नाम नहीं मिलता। मल्लिका के अनेक भेद और उपभेद होते हैं। कुछेक नाम मिलते हैं, जो आगे दिए जाते हैं। कुछ नाम नहीं मिलते। संभव है कस्तूरी मल्लिका, वनमल्लिका की तरह स्नानमल्लिका भी एक अन्य भाषाओं में नामनाम होना चाहिए। हि०-खीरा, बालमखीरा। बं०-क्षीरा, शाशा। रवीरा.(ग) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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