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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 141 dite Amaranth (हरमाफ्रो एमेरेंथ)। ले०-Amaranthus Spinosus linn (अॅमॅरेन्थस् स्पाईनोसस्)| Fam, Amaranthaceae (अमरेन्थेसी)। ............. . Amaranthus spinosus Linn. म०-तौसे। क०-तसेयकायि। गु०-तांसली। ते०- दोसकाई। ताo-मुल्लुवेल्लेरी। फा०-शियार खुर्द, खयार, वावरङ्ग। अ०-कंशद। अंo-Cucumber (क्युकुम्बर) ले०-Cucumis Sativus Linn (क्युक्युमिस * स्टाइवस) Fam. Cucurbitaceae (कुकुर्बिटेसी)। उत्पत्ति स्थान-प्रायः सब प्रान्तों में इसकी खेती की जाती है। विवरण-इसकी बेल खेतों में फैली हुई रहती है। पत्ते ५ से ६ इंच के घेरे में गोलाकार और पांचकोण वाले होते हैं। फूल पीले रंग के होते हैं। फल ६ से १२ इंच तक लंबे होते हैं और उनमें ककड़ी के समान बीज होते हैं। एक बड़ी जाति का खीरा होता है, जिसको बालमखीरा कहते हैं। इसकी लम्बाई अधिक होती है। इसका एक प्रकार 'मुंडोसा' मद्रास की तरफ अधिक प्रचलित है, जिसके फलों पर छोटे कांटे होते हैं। (भाव०नि०आम्रादिफलवर्ग०पृ०५६२) तंदुलेज्जग तंदुलेज्जग (तण्डुलीयक) चौलाई का शाक। भ०२०/२० प०१/४४/१ तण्डुलीयक के पर्यायवाची नामतण्डुलीयस्तु भण्डीरस्तण्डुली तण्डुलीयक: उत्पत्ति स्थान-यह देश के प्रायः सब प्रान्तों के ग्रन्थिली बहुवीर्यश्च, मेघनादो घनस्वनः ।।७३।। खेत, बाग, बगीचों में और वीरानभूमि में आप ही आप सुशाकः पथ्यशाकश्च, स्फूर्जथुः स्वनिताह्वयः। उत्पन्न होती है। वीरस्तण्डुलनामा च, पर्यायाश्च च तुर्दश।।७४|| विवरण-इसका क्षुप २ फीट तक ऊंचा और तण्डुलीय, भण्डीर, तण्डुली, तण्डुलीयक, ग्रन्थिली, शाखाएं झाड़ीदार होती हैं। पत्ते १.५ से २ इंच लम्बे चौडे, बहुवीर्य, मेघनाद, घनस्वन, सुशाक, पथ्यशाक, स्फूर्जथु, भालाकार किन्तु नोकरहित होते हैं। पत्तों की जड़ में स्वनिताह्वय, वीर तथा तण्डुलनामा ये सब चौलाई के महीन तीक्ष्ण कांटे होते हैं। काण्ड पर वारीक फूलों के चौदह संस्कृत नाम हैं। गुच्छे रहते हैं। इनमें से वारीक काले रंग के गोल, (राज०नि०५/७३ पृ०११६) चमकाले बीज निकलत है।। अन्य भाषाओं में नाम कांटेवाली, बिना कांटेवाली, हरे पत्ते की, लाल पत्ते हि०-चौलाई का शाक, चौराई का साग, कटैली की और नीलापन युक्त लाल अथवा लालीयुक्त नीले पत्ते चवलाई। ब०-कांटानटे। म०-कांटेमाठ, तण्डलिजा। की-इस प्रकार चौलाई कई प्रकार की होती है। क०-किरु कुशाले। गु०-कांटालो डाभो। क० (भाव०नि०शाकवर्ग०पृ०६६७) मुल्लुहरिवेसोप्पु। तेo-मोलाटोटा कुरा । ताo-मुलुक्कोरै। अंo-Prickly Amaranth (प्रिक्ली अॅमॅरेन्थ) Hermaphro Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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