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________________ 124 जैन आगम : वनस्पति कोश ले०-Leptadenia reticulata w&A (लेप्टाडेनिआ रेटिक्युलॅटा) Fam. Asclepiadaceae (एस्क्लेपिएडसी)। होडीगाका जीवली (भाव०नि०पृ० २६६) उत्पत्ति-यह विशेषतः पश्चिम एवं उत्तर भारत, पंजाब, उत्तर गुजरात एवं दक्षिण भारत में पाई जाती है। विवरण-गडच्यादि वर्ग एवं अर्ककुल की वर्षाऋतु में होने वाली, वृक्षों पर चक्रारोही, पत्रमय, अनेक शाखावली इस लता विशेष के कांड का नवीन भाग श्वेताभ, मृदुरोमश एवं जीर्णदशा में कार्क (Cork) जैसा फूला हुआ, शाखाएं-अंगली से लेकर कलाई जैसी मोटी, स्थान-स्थान पर फटी हुई. पत्र अण्डाकार, सरलधारयुक्त,श्वेताभ चीमट, १ से ४ इंच लंबे, १ से २ इंच चौड़े, ऊपर चिकने, नीचे नीलाभ, रोमश, अग्रभाग में नुकीले, उग्रगन्धी, पत्रवृन्त १/२ से १ इंच लंबा, कुछ मोटा, पुष्प पत्रकोण से निकले हुए छोटे गुच्छों में, नीलाभ श्वेत या पीताभ हरित वर्ण के. फली एकाकी शृंगाकार अग्रभाग मोटा व कुछ टेढा, २ से ५ इंच लंबी, आध इंच से कुछ मोटी सरस, कुछ कड़ी, चिकनी, बीज आध इंच लंबे, संकड़े लगभग आक के बीज जैसे होते हैं । मूल पुरानी होने पर कलाई जैसी मोटी, अनेक शाखा या उपमूलयुक्त। मूल की छाल मोटी, कुडकीली नरम, भीतर से श्वेत, चिकनी, उग्रगन्धी व स्वाद में फीकी मधुर होती है। औषधि कार्य में प्रायः मूल ही ली जाती है। (धन्वन्तरि० वनोषधि विशेषांक भाग 3 पृ० २४६, २४७) 48.30 पुष्पगुच्छ शारव उत्पत्ति स्थान-यह लता सहारनपुर, शिवालिक जियंति के नीचे तथा बरकाला, रानीपूर एवं दक्षिण में भी जियंति (जीवन्ती) जीवंती लता प० १/४०/४ मिलती है। देहरादून में मोथानवाला के पास घास के जीवन्ती के पर्यायवाची नाम मैदानों में भी होती है। जीवन्ती जीवनी जीवा, जीवनीया मधुस्रवा।। विवरण-इसकी लता क्षुपजातीय तथा चक्रारोही माङ्गल्यनामधेया च, शाकश्रेष्ठा पयस्विनी।।५० ।। होती है। इसके पुराने कांड कार्क युक्त होते हैं और जीवन्ती, जीवनी, जीवा, जीवनीया, मधुस्रवा, नवीन भाग श्वेताभ मृदुरोमश होते हैं। पत्ते २ से ३ इंज माङ्गल्यनामधेया (मंगलवाचक सभी शब्द) शाकश्रेष्ठा, लम्बे, १ से १.५ इंच चौड़े, लट्वाकार, आयताकार या पयस्विनी च जीवन्ती के पर्यायवाची नाम हैं। अंडाकार, नोकीले, सरल धार, चर्मसदृश और अधःपृष्ठ (भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० २१५) पर नीलाभ श्वेतरज से ढके होते हैं। इनका आधार प्रायः अन्य भाषाओं में नाम गोल या नोकीला होता है। पुष्प कुछ मटमैले हरिताभ हि०-जीवन्ती, डोडी। गु०-दोडी, डोडी, खरखोड़ी, पीत रंग के होते हैं। फलियां एकाकी, २ से ३ इंच राडारुडी। म०-डोडी, राईदोडी, खीरखोडी। लम्बी, आधे से पौन इंच मोटी, सीधी, सरस परन्तु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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