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________________ जैन आगम : वनस्पति कोश 123 देखें जासुमण शब्द। हैं। पिण्डपुष्पं हेमपुष्पं, त्रिसन्ध्या त्वरुणासिता जपापुष्प, जवापुष्प, ओण्ड्रपुष्प, जवा, जपा पिण्डपुष्प, हेमपुष्प, त्रिसन्ध्या और अरुणासिता ये पर्याय जपा के (कैयदेव०नि० ओषधिवर्ग० पृ०६२७) अन्य भाषाओं में नाम हि०-ओड्रहुल, ओडहुल, अढौल, गुडहल, जवाकुसुम । बं-जवाफूल । म०-जास्वंद । गु०-जासुस, जासुद । तेo-दासनमु । ता०-शष्यात्तुप्पु । कo-दासणिगे। फा०-अंगिराहिन्दी। अंo-Shoe Flower(शू फ्लावर) ले०-Hibiscus Rosa Sinensis (हिबिस्कस् रोजा साइनेन्सिस) Fam. Malvaceae (माल्वेसी)। (भाव०नि०पृ० ५०७) उत्पत्ति स्थान-यह समस्त भारतवर्ष के बाग बगीचों में लगाया जाता है। विवरण-पुष्पादि वर्ग का एवं नैसर्गिक क्रमानुसार कार्पासकुल का अनेक शाखा प्रशाखा युक्त छोटा वृक्ष होता है। पत्र शहतूत के पत्र जैसे, अण्डाकार, दन्तुर, तीक्ष्णाग्र तथा पुष्प वर्षा व ग्रीष्म में लाल रंग के और श्वेताभ लाल रंग के घंटाकार होते हैं। पुष्प एकहरा, दुहरा, तिहरा, लाल, श्वेत या श्वेताभ लाल, पीले आदि ३-४ रंग के होते हैं। इनमें लाल सर्वत्र तथा श्वेत भी अनेक स्थलों में सुलभ है । श्वेत या श्वेताभ लाल रंग के पुष्प वाला गुड़हल विशेष लाभकारी होता है। बीजकोष पुष्प की पंखुड़ियों के मध्यवर्ती कोमल सलाका पर गोल-गोल केसरिया रंग के हैं। ये ही या इसमें ही अनेक बीज होते हैं। इसमें अलग कोई फल नहीं लगते। (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग २ पृ० ४१०) जियंतय जियंतय (जिवन्तक) जिवसाग, भ० २०/२० प० १/४४/२ जीवन्तः (क:) पुं। जीवशाके मालवदेशप्रसिद्ध । (वैद्यक शब्द सिंधु पृ० ४६७) जीवन्तक के पर्यायवाची नाम जीवन्तको रक्तनालस्ताम्रपत्रः प्रनालकः ।।६२४ शाकवीरः सुमधुरो, वास्तुको मार्षक: स्मृतः।। जीवन्तक, रक्तनाल, ताम्रपत्र, प्रनालक, शाकवीर, सुमधुर, वास्तुक, मार्षक ये जीवन्त के पर्याय हैं। (कैयदेव०नि० ओषधिवर्ग ६२४,६२५ पृ० ११५) SCAN T SEE जासुयण कुसुम जासुयण कुसुम (जपासुमन कुसुम) जवाकुसुम के पुष्प। जीवा० ३/२८० देखें जासुमण शब्द। अन्य भाषाओं में नाम हि०-जिवसाग, डोडी। बं०-जिबै, जीवन्ती। म०-जीवन्ती |गु०-जिवन्ति। वाछंटी। क०हिरियांहलि। ले०-Dendrobium Macraei lindl (डेन्ड्रोबिअम् मेक्रीइ लिंड) Fam. Orchidaceae (ऑर्किडसी)। जासुवण जासुवण (जपासुमन) जवाकुसुम प० १/३७/१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016039
Book TitleJain Agam Vanaspati kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages370
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size8 MB
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