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________________ ( 54 ) आत्मा की परिणति द्विविध है-शुद्ध और अशुद्ध । बाह्य निमित्त आत्मा पर प्रभाव डालते हैं। निमित्त बनने वाले पुद्गल वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श युक्त होते हैं। मानसिक विचारों की अशुद्धि और शुद्धि के आधार पर प्ररूपण मिलता है। कृष्ण, नील और कापोत—ये तीन रंग अशुद्ध माने गये हैं अर्थात् अशुभ लेश्या है , तेजस्, पद्म और शुक्ल ये तीन शुद्ध अर्थात् शुभ लेश्याए हैं ।२ अशुद्धि और शुद्धि के आधार पर छः लेश्याओं का वर्गीकृत रूप इस प्रकार है १-कृष्ण-अशुद्धतम ४-तेजस-शुभ २-नील-अशुद्धतर ५-पद्म-शुभतर ३-कापोत-अशुद्ध ६-शुक्ल-शुभतम लेश्यत्व जीवोदय निष्पन्न भाव है ? अतः कर्म और कर्मों के उदय से जीव के आत्म प्रदेशों से कृष्णादि द्रव्यों का सान्निध्य होता है तथा तज्जन्य जीव के छः भाव लेश्यायें होती है। अतः लेश्या को उदय निष्पन्न भाव कहा गया है। नियुक्तिकार ने भी कहते हैं "भावे उदयो भणिओ, छण्हं लेसाण जीवेसु ।" अर्थात् जीवों में-उदय भाव से छः लेश्यायें होती है। नियुक्तिकार के अनुसार विशुद्ध भाव लेश्या-कषायों के उपशम तथा क्षय से भी है क्योंकि अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की लेश्याओं में अध्यक्साय प्रशस्त-अप्रशस्त दोनों होते हैं। (देखें -६६.१६ ) इसके विपरीत जब परिणाम अशुभ होते हैं, अध्यवसाय अप्रशस्त होते हैं तब लेश्या अविशुद्ध-संक्लिष्ट होनी चाहिए। जब गर्भस्थ जीव नरक गति के योग्य कर्मों का बंधन करता है तब उसका चित्त, उसका मन, उसकी लेश्या तथा उसका अध्यवसाय तदुपयुक्त होता है। गति के पांच भेद होते हैं-१ प्रयोग गति २ तत गति ३ बंधन छेदन गति ४ उपपात गति और ५ विहायो गति । उनमें विहायो गति के सत्रह भेद है उनमें ग्यारहवीं लेश्या गति और बारहवीं लेश्यानुपात गति है। १-लेश्यागति-कृष्ण लेश्या नील लेश्या के द्रव्य को प्राप्त कर नील लेश्या रूप में यानी नील लेश्या के वर्ण' गंध, रस रूप में परिणत होती है। इसी तरह नील लेश्या कापोत लेश्या रूप में, कापोत लेश्या तेजो लेश्या रूप में, तेजो लेश्या पद्म लेश्या रूप में और पद्म लेश्या शुक्ल लेश्या रूप में परिणत होती है, इसे लेश्या गति कहते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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