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________________ ( 55 ) लेश्यानुपात गति --- जीव जिस लेश्या में काल करता है उसी लेश्या में उत्पन्न होता है उसे लेश्यानुपात गति कहते हैं । उसी प्रकार जब गर्भस्थ जीव देव गति के योग्य कर्मों का बंधन करता है, तब उसका चित्त, उसका मन, उसकी लेश्या तथा उसका अध्यवसाय तदुपयुक्त होता है। इससे भी प्रतीत होता है कि इन तीनों का मन व चित्त के परिणामों का, लेश्या और अध्यवसाय का सम्मिलित रूप से कर्म बंधन में पूरा योगदान है (देखें • ६६६ ) । इसी प्रकार कर्म की निर्जरा में भी इन तीनों का पूरा योगदान होता है । जिस प्रकार वस्त्र आदि रंगने वाले पदार्थों में वर्ण गुण की प्रधानता रहती है उसी प्रकार अपने सानिध्य मात्र से आत्म परिणामों से प्रभावित करने वाले द्रव्यलेश्या के पुद्गलों में वर्ण गुण की प्रमुखता होती है । जिस प्रकार स्फटिकपिरोए हुए सूत्र के वर्ण को प्रतिभासित करता है । उसी प्रकार द्रव्य लेश्या अपने वर्ण के अनुसार आत्मपरिणामों को प्रभावित करती है । प्राचीन आचार्यों की यह धारणा रही है कि देहवर्ण ही द्रव्यलेश्या है । विशेष करके नारकी और देवताओं की द्रव्यलेश्या -उनके शरीर का वर्ण रूप ही है । दिगम्बर जैन आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धात चक्रवर्ती ने लेश्या की परिभाषा शरीर के वर्ण के आधार पर ही करते हैं "वण्णोदयसंपादितसरीरवण्णो दु दव्वदो लेस्सा" रंग अर्थात् वर्ण नामकर्म के उदय से जो शरीर का वर्ण ( रंग ) होता है उसको द्रव्यश्या कहते हैं । विचारधारा की शुद्धि एवं अशुद्धि में अनंतगुण तरतम भाव रहता है । पुद्गलजनित इस तरतम भाव को संक्षेप में छः भागों में बांटा गया है । इन छः विभागों को लेश्या कहते हैं । इनमें पहली तीन अधर्म लेश्याएं हैं व अन्तिम तीन धर्म लेश्याएं हैं । लेश्याओं के नाम द्रव्यलेश्याओं के वर्ण, रंग आधार के पर रखे गये हैं । १- कृष्ण लेश्या काजल के समान कृष्ण और नीम के समान अनंतगुण कटु पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा में जो परिणाम होता है, वह कृष्णलेश्या हैं । २- नील लेश्या नीलम के समान नील और सौंठ से अनंतगुण तीक्ष्ण पुद्गलों के सम्बन्ध से आत्मा में जो परिणाम होता है वह नीललेश्या हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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