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________________ २१२ लेश्या - कोश उद्देसए नवसु विगमएस xxx ) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है । ( देखो '५८ १० १७ ) - भग० श २४ । उ २० | तू ५४ | पृ० ८४४ ५८१८२५ ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक- १-६ ईशान कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय निर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( xxx एवं ईसाणदेबे वि) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है । ( देखो ५८ १८२४ ) भग० श २४ | उ २० । ५४ । पृ० ८४४ *५८*१८*२६ सनत्कार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में— गनक - १ - ६ सनत्कुमार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( एवं ईसानदेवे वि । एएणं कमेणं अवसेसा वि जाव - सहस्सारदेवेसु उववाएयव्वा । नवरं × × × लेस्सा - सणकुमार - माहिंद - बंभलोएस एगा पम्हलेस्सा ) उनमें नौ गमकों में ही एक पद्मलेश्या होती है । - भग० श २४ । उ २० । सू ५४ | ० ८४४ '५८१८२७ माहेन्द्र कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक- १-६ माहेन्द्र कत्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८ १८२६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक पद्मलेश्या होती हैं । - भग० श २४ | २० | सू ५४ | पृ० ८४४ ५८१८२८ ब्रह्मलोक कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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