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________________ लेश्या-कोश २११ .५८ १८.२१ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में-- गमक–१-६ नागकुमार यावत् स्तनितकुमार देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( नागकुमारे णं भंते ! जे भविए० ? एस चेव वत्तव्वया x x x एवं जाव-थणियकुमारे ) उनमें नौ गमकों में ही प्रथम चार लेश्या होती हैं । ( देखो .५८ १८ २० 7 '५८.१०.१३ ) -भग० श २४ । उ २० । सू ४८ । पृ० ८४३ .५८.१८.२२ वानव्यंतर देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक-१-६ वानव्यंतर देवों से पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( वाणमंतरे णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख० ? एवं चेव x xx ) उनमें नौ गमकों में ही प्रथम चार लेश्या होती हैं। ( देखो "५८ १८ २१) -भग० श २४ । उ २० । सू ५० । पृ० ८४३ "५८ १८.२३ ज्योतिषी देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य .... जीवों में- . .. __गमक-१-६ ज्योतिषी देवों से पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं (जोइसिए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख० ? एस चेव वत्तव्वया जहा पुढविक्काइयउद्देसए xxx ) उनमें नौ गमकों में ही एक तेजोलेश्या होती है । ( देखो '५८.१०.१६ ) -भग० श २४ । उ २० । सू ५२ । पृ० ८४३ .५८ १८.२४ सौधर्मकल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में। गमक-१-६ सौधर्मकल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्य च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( सोहम्मदेवे णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए x x x सेसं जहेव पुढ विक्काइय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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