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________________ लेश्या-कोश २१३ गमक- १-६ ब्रह्मलोक कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८१८२६ ) उनमें नव गमकों में ही एक पद्मलेश्या होती है । - भग० श २४ । उ २० । ५४ । पृ० ८४४ ५८ १८२६लांतक कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक- १-६ लांतक कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीव हैं ( एवं ईसाणदेवे वि एवं एएणं कमेणं अवसेसा वि जाव - सहस्सारदेवेसु उववाए यव्वा । नवरं x x x लेस्सा सणकुमार - माहिंद - बंभलोएस एगा पम्हलेस्सा, सेसाणं एगा सुकलेस्सा × × × ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है । - भग० श २४ । उ २० । सू ५४ | पृ० ८४४ *५८ १८३० महाशुक्र कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक - १ - १ महाशुक्र कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८१८२६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेश्या होती है । - भग० स २४ । उ २० । सू ५४ | पृ० ८४४ '५८'१८'३१ सहस्रार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में गमक - १ - ६ सहस्रार कल्पोपपन्न वैमानिक देवों से पंचेन्द्रिय तिर्यच योनि में उत्पन्न होने योग्य जो जीव हैं ( देखो पाठ ५८ १८२६ ) उनमें नौ गमकों में ही एक शुक्ललेक्या होती है । -भग० श २४ । उ २० । ५४ । पृ० ८४४ *५८१६ मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में— ५८ १६१ रत्नप्रभापृथ्वी के नारकी से मनुष्य योनि में उत्पन्न होने योग्य जीवों में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016038
Book TitleLeshya kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year2001
Total Pages740
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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